नई दिल्ली (New Delhi)। डायबिटीज (Diabetes) वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, डायबिटीज को मैनेज करने में लाइफस्टाइल का अहम रोल होता है। यदि व्यक्ति की लाइफस्टाइल (lifestyle) अच्छी है तो ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। आज भारत में ढाई करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज (Diabetes) की समस्या से पीडि़त हैं, साल-दर साल यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, हालांकि इन आकड़ों की संख्या में उतार-चढ़ाव का दा दौर बना रहता है।
अगर एक रिपोर्ट पर ध्यान दें तो यूके में 40 से कम उम्र के डायबिटीज रोगियों की संख्या 2016-17 में 1.20 लाख के करीब थी, जोकि 2020-21 में 23 फीसदी बढ़कर 1.48 से अधिक हो गई है। इसी तरह के आंकड़े भारत में भी देखे जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, मौजूदा समय में डायबिटीज के हर चार नए रोगियों में एक की आयु 40 साल से कम की है। कई प्रकार के जोखिम कारक युवाओं को इस गंभीर बीमारी का शिकार बनाते जा रहे हैं।
डॉक्टर्स कहते हैं, कम उम्र में डायबिटीज होने का मुख्य कारण मोटापा भी माना जा सकता है। अस्वास्थ्यकर खाने की आदतों, विशेषरूप से जंक फूड, अधिक कैलोरी, चीनी और फैट वाली चीजों का अधिक सेवन मोटापा और डायबिटीज दोनों के जोखिम को बढ़ा देता है। अधिक वजन वाले लोगों में मेटाबॉलिज्म की समस्याओं का खतरा भी अधिक देखा गया है, जिससे इंसुलिन का उत्पादन और इसकी कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। डायबिटीज से बचाव के लिए वजन को नियंत्रित रखना सबसे आवश्यक माना जाता है।
डायबिटीज भले ही रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने की समस्या हो पर इसका असर पूरे शरीर पर हो सकता है। किडनी, आंखों, लिवर और प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित समस्याएं डायबिटीज रोगियों में काफी सामान्य मानी जाती हैं। डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है, इसके लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए रोगियों की स्थिति के आधार पर दवाइयां और इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं।
आपको बता दें कि गंभीर और अनियंत्रित ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन की आवश्यकता होती है। डायबिटीज के रोगियों में इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन प्रभावित हो जाता है, इस कमी को पूरा करने के लिए इंसुलिन के शॉट्स देने की आवश्यकता होती है। हालांकि कुछ अध्ययनों में लंबे समय तक इंसुलिन के भी नुकसान बताए गए हैं।
डॉक्टर्स बताते हैं, इंसुलिन रक्त शर्करा को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करती है ताकि इसका उपयोग ऊर्जा के लिए किया जा सके। इंसुलिन, लिवर को रक्त शर्करा को स्टोर करने के लिए भी संकेत देती है, जिससे इसका बाद में भी इस्तेमाल किया जा सके।
डायबिटीज रोगियों में चूंकि इस हार्मोन का उत्पादन प्रभावित हो जाता है, ऐसे में बाहर से इंजेक्शन के रूप में इंसुलिन देकर इस कार्य को व्यवस्थित किया जाता है।
पौष्टिक आहार का सेवन जरूरी
डायबिटीज रोगियों को खान-पान पर विशेष ध्यान देते रहने की सलाह दी जाती है। इसके लिए मीठी और अधिक कार्ब्स वाले चीजों से परहेज करना अच्छा विकल्प हो सकता है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजों का सेवन किया जाना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, प्रोटीन, विटामिन्स वाले फल, साबुत अनाज आदि के सेवन की आदत इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या को कंट्रोल करने में आपके लिए सहायक हो सकती है।
डायबिटीज रोगियों के लिए व्यायाम जरूरी
डायबिटीज रोगियों के लिए नियमित व्यायाम बहुत आवश्यक है। रोजाना कम से कम 30-40 मिनट तक व्यायाम करना चाहिए। वॉक करना, तैराकी या साइकिलिंग जैसे सामान्य अभ्यास भी आपके लिए सहायक हो सकते हैं। व्यायाम, वजन कम करने और कैलोरी बर्न करने में मदद करते हैं। नियमित व्यायाम करने वालों में तेजी से ब्लड शुगर लेवन बढ़ने का खतरा भी अन्य लोगों की तुलना में कम होता है।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य से पेश की गई है हम इसकी पुष्टि या इनकी सटीकता का दावा नहीं करते हैं. इन्हें अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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