नई दिल्ली। प्रकृति ने दुनिया में हर जीव को अलग रंग दिया है। कई जीव बहुत रंग बिरंगे होते हैं तो कई केवल एक ही रंग के। वहीं गिरगिट जैसे जीवों को तो अपने रंग तक बदलने की सहूलियत मिली हुई है। बहुत सारे स्तनपायी जीवों का रंग भूरा और धूसर है, वहीं इनमें जेबरा जैसे कुछ अन्य जीव भी हैं जिनकार रंग संयोजन कुछ अलग है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विशाल पांडा (Giant Panda) को प्रकृति किसी खास बात के लिए रंगीन बनाने की जगह ब्लैक एंड व्हाइट बना रखा है।
एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पांडा के इस खास रंग संयोजन (Colour Comb nation) की वजह पता लगा ली है। इसके मुताबिक ये रंग पांडा के लिए छिपने (Disguise) में मददगार होते हैं जिससे शिकार करने वाले जानवर उन्हें आसानी से पहचान नहीं पाते हैं।
शोधकर्ताओं ने नई कलर मैप तकनीक (Colour map Technique) का उपयोग किया जिससे वे बहुत सी प्रजातियों और विशाल पांडा (Giant Panda) में समानता और पृष्ठभूमि की मापीयता की तुलना कर सकें। इस तुलनात्मक विश्लेषण से इस बात की पुष्टि हुई कि विशाल पांडा के शरीर के पृष्ठभूमि से मेल खाने क्षमता उन्हीं जीवों की तरह है जो परंपरागत तौर पर छद्मवेशी (Camouflage) जीव के रूप में पहचाने जाते हैं।
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस और जेवास्क्याला यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक खास आर्ट इमेज विश्लेषण तकनीक (Image Analysis Technique) का उपयोग किया और यह दर्शाया कि विशाल पांडा (Giant Panda) के शरीर का विशेष रंग संयोजन (Colour Combination) दूसरे जीवों से छिपने की क्षमता प्रदान करने के लिए है। साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने विशाल पांडा की कम उपलब्ध उन तस्वीरों का अध्ययन किया जो प्राकृतिक वातावरण में ली गई थीं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि विशाल पांडा (Giant Panda) के काले रूएं वाले धब्बे काले अंधेरे और पेड़ों के तनों में मिल जाते हैं, जबकि सफेद धब्बे पत्तियों और बर्फ से मिल जाती है। इसके अलावा कम दिखने वाले भूरे रूएं के धब्बे जमीन के रंग से मेल खाते हैं। इससे प्राकृतिक रूप से दिखने वाले रंगों के साथ बहुत ही गहरे या बहुत हलके रंगों का अंतर खत्म हो जाता है। इसी वजह से उन्हें प्राकृतिक अवस्थाओं (Natural conditions) में पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। इससे इंसान और पांडा का शिकार करने वाले जीवों (predators) की नजर में वे आसानी से नहीं आते।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने कैमाफ्लॉज यानि छद्मवेष (Camouflage) के दूसरे रूप का अध्ययन किया। इसमें बहुत अच्छे से दिखाई देने वाली जानवरों (Animals) की सीमाएं उनकी बाहरी सीमा को तोड़ देती हैं। विशाल पांडा (Giant Panda) के मामले में काले सफेद फर वाले धब्बे की सीमाएं अलग से दिखाई नहीं देती हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि विशाल पांडाओं के रंगों का एक सुरक्षात्मक रूप उन्हें बहुत फायदा भी पहुंचाता है।
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ बायोलॉजीकल साइंसेस के प्रोफेसर टिम कारो ने बताया, “जब हमारे चीनी साथियों ने हमें जंगलों की विशाल पांडा (Giant Panda) वाली तस्वीरें (Natural Images) भेजीं तभी हम समझ गए थे कि हम शोध के सही रास्ते पर हैं। एक तस्वीर में मैं खुद विशाल पांडा को नहीं देख सका था। जब मैं अपनी अच्छी प्राइमेट आंखों से नहीं देख सका, तो इसका साफ मतलब था कि मांसाहारी शिकारी जीव (Predator) जिनकी आंखें कमजोर होती हैं, वे भी उन्हें नहीं देख पाते होंगे। इसे उद्देश्यात्मक रूप से ही प्रदर्शित करना आसान था।
शोधकर्ताओं का कहना है कि बहुत कम पाए जाने वाले इस तस्वीरात्मक प्रमाण से उन्हें पहली बार पता चला कि विशाल पांडा (Giant Panda) पूर्ण रूप में प्राकृतिक उपस्थिति में कैसे दिखते हैं। उन्होंने विशेष इमेजिंग तकनीक (Imaging Techinque) के जरिए यह जानने का भी प्रयास किया कि इन्हीं तस्वीरों में पांडा किसी शिकारी जीव को किस हद तक दिखाई देंगे। यह जानकर शोधकर्ता हैरान रह गए वास्तव में पांडा दूर से प्राकृतिक रूप से स्पष्ट दिखाई नहीं देते हैं, जबकि लोकप्रिय तस्वीरों में पांडा बहुत ही स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
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