नई दिल्ली. केरल (Kerala) की वायनाड (Wayanad) लोकसभा सीट (Lok Sabha Seat) पर उपचुनाव (By-elections) हैं और आज प्रचार का आखिरी दिन है. यहां कांग्रेस, जमात-ए-इस्लामी के मुद्दे पर घिर गई है. केरल के मुख्यमंत्री और CPI(M) के नेता पिनराई विजयन और कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका गांधी ने एक-दूसरे पर हमला बोला है. पिनराई विजयन ने दावा किया है कि कांग्रेस-यूडीएफ अलायंस उम्मीदवार प्रियंका गांधी को जमात ने समर्थन दिया है और वो जमात के समर्थन से चुनाव लड़ रही हैं. हम सभी जमात की विचारधारा से परिचित है.
वहीं, रविवार को प्रियंका ने पलटवार किया और कहा कि चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाना चाहिए और मुद्दों से ध्यान नहीं भटकाना चाहिए. फिलहाल, वायनाड के चुनाव में जमात-ए-इस्लामी एक बार फिर मुद्दा बन गया है और वाम मोर्चा, कांग्रेस को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.
वायनाड में 13 नवंबर को वोटिंग
वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव में 13 नवंबर को वोटिंग होनी है. यहां सोमवार शाम चुनाव प्रचार थम जाएगा. इस सीट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी सांसद रह चुके हैं. इस बार उन्होंने वायनाड और रायबरेली से जीत हासिल की थी. बाद में राहुल ने वायनाड सीट से इस्तीफा दे दिया. अब इस सीट से राहुल की बहन और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पहली बार चुनाव मैदान में हैं. प्रियंका, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) की उम्मीदवार हैं.
प्रियंका का सीपीआई और बीजेपी उम्मीदवार से मुकाबला
वायनाड में प्रियंका का सीधा मुकाबला वाम मोर्च (सीपीआई) के सत्यन मोकेरी और बीजेपी की नव्या हरिदास के बीच माना जा रहा है. नव्या हरिदास, कोझिकोड की निगम पार्षद हैं. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) का हिस्सा है.
राहुल ने सीपीआई की एनी राजा को हराया था
अप्रैल में जब लोकसभा चुनाव हुए थे तब राहुल गांधी के सामने भी वाम मोर्चे से CPI की एनी राजा और बीजेपी उम्मीदवार के. सुरेंद्रन ने टक्कर दी थी. हालांकि, राहुल ने एनी राजा को 3 लाख 64 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया था. एनी राजा, सीपीआई के महासचिव डी राजा की पत्नी हैं और भारतीय राष्ट्रीय महिला फेडरेशन (NFIW) की महासचिव हैं.
उपचुनाव में किस मुद्दे पर विवाद है?
केरल के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ मार्क्सवादी नेता पिनराई विजयन वायनाड में सीपीआई उम्मीदवार मोकेरी के समर्थन में लगातार प्रचार कर रहे हैं. उन्होंने उपचुनाव के प्रचार में कांग्रेस पर हमला किया है. पिनराई विजयन ने आरोप लगाया कि कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका गांधी वाड्रा जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से वायनाड लोकसभा उपचुनाव लड़ रही हैं. यह संगठन एक पार्टी के रूप में प्रियंका का समर्थन कर रहा है.
विजयन का कहना था कि वायनाड उपचुनाव ने कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष मुखौटे को पूरी तरह से उजागर कर दिया है. उन्होंने पूछा, प्रियंका गांधी जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से चुनाव लड़ रही हैं. वास्तव में कांग्रेस का रुख क्या है? हमारा देश जमात-ए-इस्लामी से पूरी तरह परिचित है. क्या उस संगठन की विचारधारा लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ मेल खाती है? आखिर कांग्रेस इनसे समर्थन लेकर क्या साबित करना चाहती है?
विजयन ने आगे कहा, जमात-ए-इस्लामी राष्ट्र की संरचना और लोकतंत्र को नहीं मानता है और देश की शासन व्यवस्था की उपेक्षा करता है. ये संगठन एक पार्टी के रूप में राजनीतिक भागीदारी के तौर पर काम कर रहा है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी जमात-ए-इस्लामी का दोहरा चरित्र स्पष्ट हो गया था. जमात ने लंबे समय से जम्मू-कश्मीर में चुनाव का विरोध किया है और वहां पर सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया है.
विजयन का कहना था कि वायनाड में जमात-ए-इस्लामी भले यह कहे कि वह और जम्मू-कश्मीर की जमात-ए-इस्लामी अलग है. लेकिन इन दोनों की विचारधाराएं एक जैसी हैं. उन्होंने पूछा, यह लोग (कांग्रेस) धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं तो फिर जमात का समर्थन क्यों ले रहे हैं? क्या कांग्रेस के लोगों को सभी प्रकार के संप्रदायवाद का विरोध नहीं करना चाहिए. क्या कांग्रेस अपने स्वार्थ के लिए ऐसा नहीं कर रही है. क्या कांग्रेस जमात-ए-इस्लामी के वोटों को अस्वीकार कर सकती है?
प्रियंका गांधी ने क्या पलटवार किया?
कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका गांधी ने पिनराई विजयन की टिप्पणी पर पलटवार किया है और कहा, मुद्दों से ध्यान नहीं भटकाना चाहिए. चुनाव वास्तविक मुद्दों पर लड़ा जाना चाहिए. प्रियंका ने सुझाव दिया कि नेताओं को चुनाव के दौरान विकास की बात करनी चाहिए.
प्रियंका ने विजयन से पूछा, आपने वायनाड के लिए क्या किया है? आपको इसके बारे में बात करनी चाहिए. चुनाव उन मुद्दों पर लड़ा जाना चाहिए जो लोगों को प्रभावित करते हैं, जैसे महंगाई, विकास, बेरोजगारी. हमें लोगों का ध्यान नहीं भटकाना चाहिए. प्रियंका गांधी का कहना था कि बीजेपी नेता लोगों से ‘डिस्कनेक्ट’ हो गए हैं.
क्या है जमात-ए-इस्लामी?
जमात-ए-इस्लामी की विचारधारा इस्लामी कानून और शरियत को प्राथमिकता देती है, जिसे कुछ लोग कट्टरपंथी मानते हैं. आलोचकों का कहना है कि यह समाज में धार्मिक विभाजन और कट्टरपंथ को बढ़ावा दे सकता है. खासकर जब यह शरियत के सिद्धांतों को लागू करने की वकालत करता है. जमात-ए-इस्लामी का विभिन्न राजनीतिक दलों इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और कुछ अन्य संगठनों के साथ कभी-कभी गठबंधन रहता है. इसके कारण इसे कुछ पार्टियों के समर्थक और अन्य पार्टियों का विरोधी माना जाता है, जिससे राजनीतिक विवाद उत्पन्न होते हैं. जमात-ए-इस्लामी पर यह आरोप भी लगाया जाता है कि वह धार्मिक भावनाओं का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करती है.
जमात को लेकर क्यों घिरी है कांग्रेस?
जमात-ए-इस्लामी पर आरोप लगाए जाते हैं कि उसके विदेशी संबंध हैं और कुछ लोग इसे विदेशी संगठनों से वित्तीय मदद लेने का आरोप भी लगाते हैं. कुछ संगठनों और समुदायों का मानना है कि जमात-ए-इस्लामी सिर्फ मुस्लिम हितों की वकालत करता है और इससे समाज में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच अविश्वास की भावना बढ़ती है. इसका कई बार सांप्रदायिक मुद्दों पर विवादास्पद रुख भी रहा है. इसके विद्यार्थी संगठन विशेषकर कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), कई बार कैंपस में कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए विवादों में रहे हैं. CFI पर आरोप लगे हैं कि वो धार्मिक ध्रुवीकरण और अलगाववाद को बढ़ावा देता है.
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