देहरादून। उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने मंगलवार को कहा कि 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस (State Foundation Day.) से पहले प्रदेश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code.-UCC) लागू कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि नकल विरोधी कानून (Anti-copying law.) के अलावा धर्मांतरण विरोधी कानून (Anti-conversion law), दंगा विरोधी आदि कानून लागू होने के बाद आज उत्तराखंड की पहचान पूरे देश में अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस वाले अनुशासित राज्य के रूप में हो रही है।
सीएम धामी ने कहा, ‘महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में हमने समान नागरिक संहिता इसका विधेयक भी हमारी विधानसभा में पारित कर दिया है। विधेयक पारित होने के साथ-साथ राष्ट्रपति महोदय की भी हमको मंजूरी मिल गई है। हमने एक समयसीमा तय की है कि 9 नवंबर 2024 जो हमारा राज्य स्थापना दिवस है, उस राज्य स्थापना दिवस से पहले हम प्रदेश के अंदर सभी वर्गों के लिए, सभी पंथों के लिए, राज्य में रहने वाले हर एक व्यक्ति के लिए एक समान कानून लागू करने का जो विधेयक हमने पारित किया है, उसे हम लागू कर देंगे।’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड सहित पूरे देश में न्यायिक इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कार्य को मजबूत करने का काम अनवरत रूप से किया जा रहा है। पिछले दस वर्षों में मोदी सरकार ने न्यायिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 8000 करोड़ से ज्यादा की धनराशि खर्च की है। धामी ने ये सारी बातें मंगलवार को न्यायिक परिसर (पुरानी जेल) देहरादून में बार एसोसिएशन, देहरादून के नवीन भवन का शिलान्यास और भूमि पूजन करने के दौरान कही।
यह पहली मौका नहीं है कि जब धामी ने 9 नवंबर तक समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया है। पिछले महीने सीएम ने कहा था, ‘हमने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जिन्हें पिछली सरकारों ने वोट बैंक की राजनीति के कारण आज तक लागू नहीं किया। यूसीसी (समान नागरिक संहिता) विधेयक जल्द ही लागू किया जाएगा। हमने इसे 9 नवंबर से पहले राज्य में लागू करने का संकल्प लिया है।’
भाजपा सरकार ने इस साल 6 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया था और एक दिन बाद 7 फरवरी को इसे बहुमत से पारित कर दिया गया। तब सीएम धामी ने कहा था कि समान नागरिक संहिता विधेयक का पारित होना उत्तराखंड के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन था।
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य समान व्यक्तिगत कानूनों का एक सेट स्थापित करना है जो धर्म, लिंग या जाति की परवाह किए बिना सभी नागरिकों पर लागू होता है। इसमें विवाह, तलाक, गोद लेना, विरासत और उत्तराधिकार जैसे पहलू शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की वकालत करते हुए कहा कि भारत को अब धर्म आधारित भेदभाव से देश को मुक्त करने के लिए धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की ओर बढ़ना होगा। पीएम मोदी ने पूरे देश में समान नागरिक संहिता के प्रस्तावित कार्यान्वयन पर चर्चा का आह्वान किया और लोगों से अपने सुझाव देने को कहा था।
बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के दौरान 9 नवंबर सन् 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर इस नए राज्य का गठन किया गया था। पहले इसका नाम उत्तरांचल था, जिसे 1 जनवरी 2007 को बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
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