पुराना विवाद दिखाई देने से देवर, ननद और ननदोई को जमानत
इंदौर। एससी-एसटी एक्ट (SC-ST Act) के तहत दर्ज केस में पुराना विवाद होने से देवर, ननद और ननदोई को स्पेशल कोर्ट ने जमानत पर छोडऩे का आदेश दिया है। तीनों हाईकोर्ट (High Court) के आदेश पर अदालत में जाकर सरेंडर हो गए थे।
सूत्रों के अनुसार मुलजिम शीतल मेहता निवासी छत्रीबाग, उसकी बहन सपना एवं उसके पति सुशील धनोतिया निवासी विद्यानगर (Vidyanagar) के खिलाफ छत्रीपुरा पुलिस (Chhatripura Police) ने गाली-गलौज, धमकाने व एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इसमें तीनों विशेष अदालत में सरेंडर हो गए। दरअसल इसके पहले वे तीनों जमानत के लिए हाईकोर्ट गए थे तो कोर्ट ने उन्हें ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण (सरेंडर) करने के आदेश दिए थे, जिसके पालन में वे कोर्ट में सरेंडर हुए। इसकी सूचना आनन-फानन में पुलिस को दी गई तो वह कोर्ट पहुंची और मुलजिमों की औपचारिक गिरफ्तारी कर उन्हें जेल भेजने की फरियाद की। जेल भेजने के आदेश के बाद तीनों मुलजिमों की ओर से तत्काल जमानत अर्जियां देकर कहा गया था कि फरियादी महिला शीतल की भाभी है। शीतल के भाई रूपेश ने पिछले साल अंतरजातीय विवाह किया था। अब घर पर कब्जे की नीयत से भाभी व भाई ने मिलकर एससी-एसटी एक्ट का झूठा मुकदमा कायम कराया है। उन्होंने पुलिस को पूर्व में की गई शिकायत की कॉपी भी पेश की थी, जिसे देखने के बाद कोर्ट ने पाया कि मामला पुराने विवाद से संबंधित दिखाई देता है। ऐसे में तीनों मुलजिमों को जमानत देते हुए 15-15 हजार की जमानत एवं इतनी ही राशि का मुचलका पेश करने पर जमानत पर छोड़ दिया।
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