तेहरान: ईरान (Iran) ने खुफिया जानकारी (Intelligence Information) जुटाने को लेकर चीन (China) के साथ एक बड़ी डील की है। इस डील ने अमेरिका, इजरायल (America, Israel) के साथ-साथ सऊदी अरब (Saudi Arabia) की टेंशन (tension) बढ़ा दी है। वॉशिंगटन पोस्ट में शुक्रवार को पश्चिमी सुरक्षा अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा गया कि ईरान दो चीनी सैटेलाइट कंपनियों के साथ सक्रिय रूस से साझेदारी कर रहा है। इस डील में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स शामिल हैं। रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में एक्सपर्ट कंपनी के साथ प्रतिनिधिमंडल का आदान-प्रदान शामिल है। इस साझेदारी का लक्ष्य इजरायल और मिडिल ईस्ट में सैन्य टार्गेट्स की हाई रिजॉल्यूशन निगरानी की क्षमता बढ़ाना है जो अमेरिका, यूरोप और मध्य पूर्वी खुफिया एजेंसियों की चिंता बढ़ा रहा है।
क्या होगा खतरा?
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में इस सहयोग से होने वाले संभावित खतरों का जिक्र किया है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस समझौते के जरिए ईरान को अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों को टार्गेट तक सटीक तरीके से पहुंचाने में मदद मिलेगी। साथ ही उसे अपनी ओर आने वाले हमलों को लेकर भी प्रारंभिक चेतावनी मिल सकेगी। इसके अलावा ईरान अपने क्षेत्रीय सहयोगियों जैसे यमन के हूती विद्रोहियों और सीरिया और इराक में विभिन्न संगठनों के साथ सैटेलाइट से मिली खुफिया जानकारी साझा कर सकता है। जो अमेरिका के सैन्य ठिकानों और वाणिज्य जहाजों को एक टार्गेट बनाता है।
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अमेरिकी सैटेलाइट को देगा टक्कर
चीन के जिलिन प्रांत में स्थित चांग गुआंग सैटेलाइट टेक्नोलॉजी ने कथित तौर पर ईरान के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किया है। कंपनी छोटे, सस्ते और प्रभावी ‘क्यूबसैट’ सैटेलाइट बनाती है, जो ऑप्टिकल सिस्टम से लैस होते हैं। यह 30 सेंटीमीटर की रिजॉल्यूशन के साथ अंतरिक्ष से तस्वीरें खींचने में सक्षम है। यह अमेरिका और यूरोप की सबसे उन्नत सैटेलाइट क्षमताओं को टक्कर देता है। ईरान के पास वर्तमान में खय्याम उपग्रह है जो 1 मीटर के रिजॉल्यूशन के साथ तस्वीरों को कैप्चर कर सकता है। इस साझेदारी के बाद यह ईरान की निगरानी क्षमताओं में बड़ी छलांग है।
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