नई दिल्ली। क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज एफटीएक्स के प्रमुख सैम बैंकमैन-फ्राइड दो दिन पहले तक टेक की दुनिया के सुपरस्टार थे। उन्हें क्रिप्टो का रक्षक, डेमोक्रेटिक राजनीति में नवीनतम शक्ति और संभावित रूप से दुनिया के पहले खरबपति जैसे विशेषणों से नवाजा जाता था, लेकिन आज वह क्रिप्टो जगत के सबसे बड़े खलनायक हैं। 30 वर्षीय बैंकमैन-फ्राइड द्वारा चलाया जा रहा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज शुक्रवार को दिवालिया हो गया और निवेशकों और ग्राहकों ने खुद को ठगा महसूस किया। अगर आप भी क्रिप्टो में निवेश के बारे में सोच रहे हैं तो अच्छी तरह से जान लें कि आप एक ऐसी अंधी गली में प्रवेश कर रहे हैं, जिसमें कब क्या हो जाए किसी को नहीं मालूम।
भारतीयों के लिए क्या हैं मायने
गुरुग्राम के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर ब्रजेश शर्मा ने पांच साल पहले क्रिप्टोकरेंसी में दो लाख रुपये का निवेश किया था। पिछले साल तक वह निवेश से काफी उत्साहित थे, लेकिन अब डर सताने लगा है। ऐसा ही कुछ बंगलूरू में सॉफ्टवेयर इंजीनियर रितेश कुमार का सोचना है। उनका कहना है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी को न तो मान्यता है और न ही क्रिप्टो एक्सचेंज चलाने वाली कंपनियां अपने बारे में कुछ खुलकर बताती हैं। ऐसे में अगर पैसा डूबा तो हम कोई दरवाजा भी नहीं खटखटा सकते हैं।
हालात और बुरे होने की आशंका
सरकार और आरबीआई की सर्तकता से बचे निवेशक
दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भारी गिरावट से निवेशकों के अरबों डॉलर डूब गए। हालांकि, सरकार और आरबीआई के सतर्क रुख से भारतीय निवेशकों पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार करता रहा है। साथ ही क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर चेतावनी भी दी है। इसके अलावा, सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी पर 30 फीसदी का भारी-भरकम टैक्स और लेनदेन पर एक फीसदी का अतिरिक्त टीडीएस भी लगाया है। आंकड़ों के मुताबिक, वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी बाजार का पूंजीकरण 2021 में 3 लाख करोड़ डॉलर (234.7 लाख करोड़ रुपये) था। एक साल में ही इसका कुल बाजार मूल्य 2 लाख करोड़ डॉलर (165 लाख करोड़ रुपये) घटकर अब एक लाख करोड़ डॉलर (81.23 लाख करोड़ रुपये) रह गया है।
16 अरब डॉलर स्वाहा
भारत में सिर्फ 3 फीसदी निवेश
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