भोपाल। प्रदेश में साढ़े तीन लाख से ज्यादा महिला स्वयं सहायता समूहों की 45 लाख से ज्यादा महिलाओं के 400 करोड़ के जीवन बीमा घोटाले पर मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है। 6 फरवरी को होने वाली सुनवाई में सरकार को रिपोर्ट पेश करने को कहा है। खास बात यह है कि आजीविका मिशन में करोड़ों के बीमा घोटाले में आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन बेलवाल कठघरे में है। घोटाला उजागर होने के बाद बेलवाल ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय के अफसरों को भी इसमें लपेटना चाहा है। आजीविका मिशन के सीईओ ने बीमा घोटाला उजागर होने के बाद मंत्रालय को पत्र लिखकर सिर्फ समूहों की महिलाओं का बीमा कराने की सूचना दी थी। न तो शासन को यह बताया कि बीमा किस कंपनी से कराया और किस बैंक में पैसा जमा किया है। जबकि इस संबंध में शासन से किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई। बीमा घोटाले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद से पंचायत मंत्रालय में हड़कंप मचा हुआ है। क्योंकि बेलवाल के कारनामों की वजह से पंचायत मंत्रालय के अफसरों की कोर्ट में परेशानी बढ़ समती है।
शासन की बिना अनुमति बनाई बीमा योजना
अपीलार्थी भूपेन्द्र नामदेव ने कोर्ट में बताया कि सूक्ष्म बीमा के नाम पर बेलबाल द्वारा करोड़ों रुपए का गबन किया। ललित मोहन बेलवाल द्वारा वर्ष 2017 में बिना राज्य शासन को अंधेरे में रखकर बिना अनुमति अनुमति के एवं नियम विरुद्ध सूक्ष्म बीमा योजना बनाई। जिसका नाम कम्युनिटी बेस्ड माइक्रोइंश्योरेंस इंस्टिट्यूशन रखा गया। बीमा के संबंध में तीन पत्र जारी करके जिलों के डीपीएम पर महिलाओं समूहों से बीमा कराने का दवाब बनाया। जिसके बाद कई जिले के आजीविका मिशन कर्मचारियों ने गरीब ग्रामीण माहिलाओं के लाखों के बीमा कर दिए। जिला कलेक्टरों को भी इसकी भनक तक नहीं थी। वर्ष 2017 तक लगभग समूहों की प्रत्येक महिला से 300 -350 रुपये बीमा के नाम पर लिए। यह राशि न तो किसी बीमा कंपनी में जमा की गई और न ही बैंक में। ऐसे में बीमा के नाम पर करोड़ों का भ्रष्टाचार उजागर होता है।
ऐसे समझें 100 करोड़ से ज्यादा का बीमा घोटाले का गणित
बेलवाल द्वारा बनाई गई सूक्ष्म बीमा योजना से बीमा कराने के लिएि समूहों की महिलाओं से 300 रुपए प्रति महिला नगद लिए गए। यदि साढ़े तीन लाख समूहों की 45 लाख महिलाओं की बीमा राशि का अंाकड़ा निकालें तो यह राशि 135 करोड़ होती है। अपीलार्थी भूपेन्द्र प्रजापति ने कोर्ट में बताया कि आजीविका मिशन के सीईओ 2015 से 2017 तक महिलाओं का बीमा कराते रहे हैं। 2017 के बाद उन्हें आजीविका मिशन की नौकरी से बाहर कर दिया था। इसके बाद बीमा कराया या नहीं उन्हें नहीं पता। प्रजापति के अनुसार तीन साल में 35 लाख महिलाओं की बीमा राशि 415 करोड़ होती है। प्रजापति ने आरोप लगाया है कि उन्होंने सरकार की जांच एजेंसियों से इस घोटाले की शिकायत की, लेकिन एजेंसियों ने बेलवाल को ही जांच सौंप दी।
आजीविका मिशन के ललित मोहन बेलवाल द्वारा मप्र की समूहों से जुड़ी एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग 40 लाख को गुमराह कर वित्तीय हानि पहुंचाई जा रही है। बेलवाल खुद के बचाव में मप्र सरकार को सुनियोजित तरीके से गलत आंकड़े पेश कर रहे हंै। बेलवाल की वजह से आधे समूह बंद हो चुके हैं।
भूपेंद्र प्रजापति, अपीलकर्ता एवं तत्कालीन सहायक जिला प्रबंधक जिला पंचायत रायसेन
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