इंदौर। विजय नगर चौराहा पर प्राधिकरण के पास लगभग साढ़े 9 एकड़ बस स्टैंड की पुरानी जमीन है, जिसमें से लगभग 3 एकड़ जमीन शासन ने कुछ वर्ष पूर्व व्यवसायिक कर दी थी। शेष बची साढ़े 6 एकड़ जमीन, जिसका उपयोग बस स्टैंड ही है, वह मेट्रो कॉर्पोरेशन ने मांगी है, ताकि वह प्रोजेक्ट में होने वाले अपने घाटे की कुछ पूर्ति कर सके। दूसरी तरफ प्राधिकरण का कहना है कि वह शासन को इस जमीन का भू-उपयोग परिवर्तन करने का प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेज चुका है और मेट्रो की तरह प्राधिकरण खुद इस जमीन का व्यवसायिक दोहन कर सकता है। आज कलेक्टर ने मेट्रो प्रोजेक्ट में आ रही बाधाओं और खासकर सरकारी जमीनों के हस्तांतरण की प्रक्रिया तेज करवाने के मुद्दे पर महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें 36 जमीनों के हस्तांतरण पर चर्चा की जाना है, जिसमें प्राधिकरण की विजय नगर बस स्टैंड की भी जमीन का मामला शामिल है।
अभी अग्रिबाण ने यह खबर प्रकाशित की थी कि रीगल तिराहा स्थित रानी सराय, पुलिस मुख्यालय के साथ-साथ कई सरकारी जमीनें मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए ली जाना है, जिसमें बंगाली चौराहा, संविद नगर, पत्रकार कॉलोनी, पलासिया खजराना चौराहा, रेलवे स्टेशन के आसपास, रीगल तिराहा की बेशकीमती जमीनों के साथ नगर निगम, पुलिस स्टेशन, मराली स्कूल, मल्हारगंज में लाल अस्पताल की जमीन से लेकर छोटा गणपति, मल्हारगंज के पास आईएमसी पार्क की जमीन, तो बड़ा गणपति के पास राज्य नागरिक आपूर्ति, वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन के अलावा शारदा कन्या उमावि की कुछ जमीन और रामचंद्र नगर स्थित रुस्तम जी सशस्त्र पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय और कालानी नगर स्थित बीएसएफ, बिजासन माता के पास एयरपोर्ट की कुछ जमीन और उसके पास वन विभाग, गांधी नगर चौराहा पर गांधी गृह निर्माण संस्था की जमीन के साथ-साथ विजय नगर चौराहा पर जो प्राधिकरण के पास 2.64 हेक्टेयर यानी लगभग साढ़े 6 एकड़ जमीन बस स्टैंड की है वह भी मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने मांगी है। दरअसल विजय नगर चौराहा पर प्राधिकरण ने सालों पहले बस स्टैंड के लिए यह जमीन आरक्षित की थी।
लगभग साढ़े 9 एकड़ की इस जमीन पर बस स्टैंड तो नहीं बना, क्योंकि प्राधिकरण ने अब नायतामूंडला के साथ कुमेर्डी में आईएसबीटी यानी अंतरराज्यीय बस स्टैंड का प्रोजेक्ट बनाया, जो अंतिम चरण में है। लिहाजा अब विजय नगर की जमीन पर बस स्टैंड की आवश्यकता रही नहीं और कुछ साल पहले शासन ने इस जमीन के एक हिस्से का भू-उपयोग व्यवसायिक भी कर दिया है और प्राधिकरण पिछले कई सालों से प्रयासरत है कि साढ़े 6 एकड़ जमीन का भू-उपयोग भी बस स्टैंड की बजाय व्यवसायिक हो जाए तो वह उसका दोहन कर सकता है। आज एक हजार करोड़ रुपए से अधिक कीमत की यह जमीन है और प्राधिकरण इसे व्यवसायिक करवाने के बाद बेचकर जो धन राशि अर्जित करे उससे शहरभर के एक दर्जन से ज्यादा फ्लायओवर, सारे एमआर और मास्टर प्लान की सडक़ें बन जाए। दूसरी तरफ मेट्रो कॉर्पोरेशन इस जमीन को हासिल कर उसका व्यवसायिक दोहन करना चाहता है, क्योंकि प्रोजेक्ट को अमल में लाने के बाद टिकटिंग से उतनी कमार्ई नहीं होगी। लिहाजा इस तरह की जमीनें हासिल कर मेट्रो कॉर्पोरेशन उसका व्यवसायिक इस्तेमाल करेगा। जबकि प्राधिकरण का कहन ाहै कि जो काम मेट्रो कॉर्पोरेशन करेगा, वही प्राधिकरण भी बखूबी कर सकता है। मगर मेट्रो स्टेशन बनाने या अन्य काम से जमीन मांगी जाती तो बात अलग थी, मगर व्यवसायिक उपयोग के लिए जमीन मांगी जा रही है। प्राधिकरण बोर्ड ने पिछले दिनों संकल्प पारित कर गाइडलाइन के मुताबिक इस जमीन की कीमत 264 करोड़ रुपए आंकते हुए इस राशि की मांग मेट्रो कॉर्पोरेशन से की। या फिर शासन को इतनी ही कीमत की सरकारी जमीन प्राधिकरण को आबंटित करे। बहरहाल आज कलेक्टर आशीष सिंह ने मेट्रो प्रोजेक्ट से जुड़ी जमीन हस्तांतरण के विषयों को लेकर आज साढ़े 10 बजे महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें प्राधिकरण के अलावा अन्य जमीनों के हस्तांतरण पर चर्चा होनी है।
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