जकार्ता। इंडोनेशिया (Indonesia) में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमे एक टीचर ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी। दरअसल, यहां टीचर ने कम से कम 13 छात्राओं के साथ दुष्कर्म किया है, जिसमें कई छात्राएं प्रेग्नेंट (girls pregnant) भी हो गई है। जानकारी के मुताबिक, करीब पांच सालों तक यह टीचर इन छात्राओं के साथ दुष्कर्म करता रहा। कोर्ट ने इस आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
जानकारी के मुताबिक जिस आरोपी की हम बात कर रहे है वह, एक इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल का प्रिंसिपल था। पश्चिम जावा के बांडुंग शहर (Indonesian city of Bandung) में स्थित छात्राओं के स्कूल प्रिंसिपल हेरी विरावन ने अपना अपराध स्वीकार किया। इसके साथ ही उसने पीड़ित छात्राओं (victim girl students) और उनके परिजनों से माफी भी मांगी है। आरोप है कि इस टीचर ने 11 से 14 साल के बीच की 13 छात्राओं के साथ दुष्कर्म किया। आरोपी ने 2016 से 2021 के बीच इन वारदातों को अंजाम दिया। इस दुष्कर्म से पीड़ित छात्राओं ने करीब नौ बच्चों को जन्म दिया।
बताया जा रहा है की पहली बार मामला 7 दिसंबर को सामने आया था। इस दौरान बताया गया है कि दुष्कर्म के दौरान कम से कम नौ बच्चे पैदा हुए हैं, जबकि स्थानीय मीडिया आउटलेट्स (local media outlets) ने यह भी बताया कि दो और बच्चों की उम्मीद है। इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने बताया कि कई पीड़ितों ने मामले की रिपोर्ट करने से इनकार कर दिया। क्योंकि वह डरी हुई हैं। वेस्ट जावा पुलिस ने पिछले साल मई में एक पीड़िता के अभिवावकों द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद मामले की जांच शुरू की थी। उसी दौरान दोषी स्कूल प्रिंसिपल को गिरफ्तार किया गया।
जानकारी के मुताबिक पीड़ित छात्रा ने छुट्टियों के दौरान घर आने पर पूरे मामले का खुलास अपने माता-पिता के सामने किया। बांडुंग जिला न्यायालय (Bandung District Court) में तीन जजों की पीठ ने स्कूल के प्रिंसिपल विरावन को बाल संरक्षण कानून और आपराधिक संहिता (criminal Code) के उल्लंघन का दोषी ठहराया। इसके साथ ही उन्होंने महिला सशक्तिकरण और बाल संरक्षण मंत्रालय (Ministry of Women Empowerment and Child Protection) से पीड़ित छात्राओं को संयुक्त तौर पर 33.1 करोड़ रुपये (23,200 डालर) देने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि दुष्कर्म के कारण जन्मे बच्चों को बाल और महिला सुरक्षा एजेंसी को सौंप दिया जाए। कोर्ट ने कहा जब पीड़ित छात्राएं अपने बच्चों की देखभाल के लिए मानसिक रूप से तैयार होंगी। तभी बच्चो को उनके हवाले किया जायेगा।
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