नई दिल्ली । भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आराधना के लिए सबसे खास मानी जाने वाली एकादशी तिथि हर महीने में 2 बार पड़ती है. लेकिन इनमें से कुछ एकादशी को धर्म-शास्त्रों में विशेष महत्व दिया गया है. इन में से एक है माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे षटतिला एकादशी (Shatila Ekadashi) कहते हैं. यह व्रत विष्णु की आराधना करने और संतान सुख पाने के लिए किया जाता है. इस साल यह व्रत (Fast) आज यानी कि 28 जनवरी को रखा जाएगा. इस व्रत को लेकर हिंदू धर्म में कुछ खास नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी है.
भगवान विष्णु को लगाते हैं तिल का भोग
षटतिला एकादशी के नाम में ही तिल शब्द शामिल है. सर्दियों के मौसम में पड़ने वाले इस व्रत की खास बात है कि इसमें भगवान विष्णु को तिल के ही पकवानों का भोग लगाया जाता है. व्रती भी तिल से बनी फलाहारी चीजों का सेवन करता है और दान भी तिल का ही किया जाता है. कुल मिलाकर इस व्रत में 6 तरीके से तिल का उपयोग करने का नियम है.
ये है षटतिला एकादशी का पूजा मुहूर्त
षटतिला एकादशी तिथि 27 जनवरी को रात 02:16 बजे से शुरू हो चुकी है और 28 जनवरी की रात 11:35 बजे समाप्त होगी. षटतिला एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त 28 जनवरी की सुबह 07:11 बजे से 09:20 बजे तक रहेगा.
जरूर पालन करें व्रत के ये नियम
षटतिला एकादशी का व्रत रखने वालों को एक दिन पहले से ही तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए. वहीं आज के दिन बैगन-चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रती के लिए जरूरी है कि वह ब्रह्मचर्य का पालन करे. साथ ही जमीन पर सोए. गलती से भी मांसाहार और नशीली चीजों का सेवन न करे. ना ही पान खाए. इस दिन दातून न करे. व्रती को किसी भी पौधे की फूल-पत्ती आज के दिन नहीं तोड़नी चाहिए. साथ ही आज के दिन झूठ बोलने से भी बचें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते है.)
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