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    कांग्रेस में उठ रहे हैं बगावत के सुर, जानिए क्या है मामला

  • September 13, 2020

    • चिट्ठी लिखने वाले नेता फेरबदल से खुश नहीं!
    • फेरबदल काफी निराशाजनक
    • सोनिया से फिर बात करेंगे कांग्रेसी

    नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बीते दिनों पार्टी में बड़ा संगठनात्मक बदलाव किया है। पार्टी में इसे लेकर लंबे समय से मांग उठ रही थी। कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर बदलावों और संगठन को स्थायी नेतृत्व पर फैसला लेने की मांग की थी। शनिवार को पार्टी में कुछ अहम बदलाव तो हुए लेकिन इससे पत्र लिखने वाले कांग्रेसी संतुष्ट नहीं है।
    जानकारी के मुताबिक, पार्टी में बदलाव की मांग रखने वाले ज्यादातर नेता कांग्रेस के इस फेरबदल से नाराज हैं। नाम न लिखे जाने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि पार्टी में यह फेरबदल कांग्रेस नेतृत्व को लिखे गए उनके पत्र में रखी गई चिंताओं को किसी भी तरीके से संबोधित नहीं करते। उन्होंने कहा कि यह फेरबदल काफी निराशाजनक है और हम इससे काफी नाखुश हैं। इसमें कांग्रेस नेतृत्व की ओर से पार्टी के पुनरुद्धार के लिए कोई कोशिश दिखाई नहीं देती है।
    23 कांग्रियों ने लिखा था पत्र
    गौरतलब है कि 135 साल पुरानी पार्टी के प्रदर्शन में लंबे समय से लगातार जारी गिरावट पर चिंता जताते हुए कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक, जितिन प्रसाद, शशि थरूर और मनीष तिवारी समेत कई नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व को स्वहस्ताक्षरित पत्र लिखा था। उन्होंने पार्टी को इस पर आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी थी। इसके बाद शनिवार को कांग्रेस की महत्वपूर्ण मीटिंग हुई। पत्र लिखने वाले 23 में से 18 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने इस मीटिंग में हिस्सा लिया।
    पत्र लिखने वालों में शामिल रहे एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी में फेरबदल को ‘निरर्थक प्रयास’ बताया। उन्होंने कहा कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार की मीटिंग में कई नए लोग शामिल थे। बताया जा रहा है कि फेरबदल से असंतुष्ट पत्र लिखने वाले नेताओं ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) में सदस्यों के चयन के लिए चुनाव प्रक्रिया की मांग की है। गौरतलब है कि सीडब्ल्यूसी कांग्रेस पार्टी में फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।
    बदलावों में राहुल गांधी की छाप
    वहीं, कांग्रेस के संगठनात्मक बदलाव में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की स्पष्ट छाप दिखाई देती है। गांधी के करीबी कई नेताओं को पार्टी का महासचिव बनाया गया है। इतना ही नहीं, कांग्रेस कार्यसमिति की नई टीम में भी राहुल के करीबियों की भरमार है। वहीं, पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से महासचिव का प्रभार वापस ले लिया गया है। इनमें गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं। हालांकि, दोनों को कार्यसमिति में बरकरार रखा गया है।
    आजाद के अलावा चिट्ठी लिखने वाले तीन अन्य कांग्रेस नेताओं मुकुल वासनिक, आनंद शर्मा और जितिन प्रसाद को कार्यसमिति में बरकरार रखा गया है। माना जा रहा है कि पार्टी ने सुलह के मकसद को ध्यान में रखते हुए इन कथित नाराज कार्यकर्ताओं को लेकर यह फैसला लिया है। हालांकि, फेरबदल से असंतुष्ट नेता अभी हार मानने के मूड में नहीं है। फिलहाल, वह संसद के मानसून सत्र पर फोकस कर रहे हैं। नेताओं का कहना है कि मानसून सत्र की समाप्ति और रूटीन हेल्थ चेकअप के लिए यूएस गईं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के वापस आने के बाद वे फिर से इस मुद्दे को उनके समक्ष रखेंगे।

    दिग्विजयसिंह आए गांधी परिवार के करीब

    कभी सबसे करीबियों में शुमार दिग्विजयसिंह को राहुल ने 2018 में कांग्रेस कार्यसमिति से हटा दिया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोडऩे के बाद दिग्विजयसिंह फिर से गांधी परिवार के करीब आ गए हैं। कई मौके पर वह खुलकर प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी के नेतृत्व का समर्थन कर चुके हैं।

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