जयपुर । राजस्थान (Rajasthan) के उपचुनाव (by election) में दिग्गजों का हाथ खाली रह गया है। चाहे फिर वो किरोड़ीलाल मीणा (Kirodi Lal Meena) हो या फिर हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal)। ओला परिवार के गढ़ में भाजपा ने सेंध लगाई है। रामगढ़ में भी भाजपा उलटफेर करने में सफल रही है। 7 सीटों में 5 सीट पर भारतीय जनता पार्टी को सफलता मिली है। वहीं, 1 सीट पर कांग्रेस और एक सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी को जीत मिली है।
डॉ किरोड़ीलाल मीणा की मेहनत हुई बेकार
भाजपा ने दौसा से किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन कांग्रेस के डीसी बैरवा ने उन्हें 2000 से अधिक वोटों से हरा दिया है। दौसा के विधानसभा चुनाव को डॉ किरोड़ीलाल मीणा के लिए साख की लड़ाई मानी जा रही थी। उन्होंने सीट पर काफी मेहनत भी की थी। बीते एक महीने से लगातार वो इस सीट पर प्रचार कर रहे थे। लेकिन चुनावी नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे। बता दें, इस सीट पर ब्राह्मण वोट को निर्णायक माना जा रहा था। नतीजे बता रहे हैं कि भाजपा यहां चुनावी समीकरण बैठाने में असफल रही है।
हनुमान बेनीवाल की पार्टी विधानसभा से साफ
खींवसर एक ऐसी सीट थी जिसे हनुमान बेनीवाल का गढ़ माना जाता रहा है। पिछले कई चुनावों में हनुमान बेनीवाल या उनके परिवार के सदस्य को जीत मिली थी। लेकिन इस बार भाजपा ने उन्हें हरा दिया। कभी हनुमान बेनीवाल के ही सहयोगी रहे रेवंतराम डांगा ने उनकी पत्नी कनिका को 10,000 से अधिक वोटों से हरा दिया। 2023 के विधानसभा चुनाव में रेवंतराम डांगा, हनुमान बेनीवाल से 2000 वोटों से हार गए थे। बता दें, 2013 में भी हनुमान बेनीवाल यहां से विधायक बने थे। लेकिन लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने यहां से अपने भाई को तब लड़ाया था। और उन्हें तब जीतने में सफल रही थी।
ओला परिवार के गढ़ में भी लगी सेंध
भाजपा के राजेंद्र भांबू में ओला परिवार के गढ़ में सेंध लगाई है। उन्होंमे झुंझुनू से कांग्रेस प्रत्याशी अमित ओला को 40,000 से अधिक वोटों से हराया है। इस सीट पर राजेंद्र गुढ़ा को 38 हजार से अधिक वोट मिला है। बता दें, राजेंद्र गुढ़ा पहले कांग्रेस की सरकार में मंत्री रह चुके है। लाल डायरी कांड के बाद उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया था।
रामगढ़ में भाजपा ने किया उलटफेर
इस उपचुनाव में जो सीट भाजपा के लिए मुश्किल नजर आ रही थी। वह रामगढ़ थी। यहां से आर्यन जुबैर कांग्रेस के प्रत्याशी थे। उनके माता और पिता दोनों इस सीट से विधायक रह चुके हैं। लेकिन अपनी परिवार के चुनावी जीत की परंपरा को आगे नहीं बढ़ा पाए।
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