भोपाल। अब एक डॉक्टर के नाम पर एक ही अस्पताल खोला जाएगा। यही नहीं, किसी एक डॉक्टर का नाम दो अलग-अलग नर्सिंग होम के बोर्ड पर भी नहीं लिखा जा सकेगा। हालांकि, रेजिडेंट डॉक्टर को बतौर कंसल्टेंट ज्यादा से ज्यादा 3 अस्पतालों में जाकर मरीज देखने और सर्जरी करने की छूट रहेगी। यह सख्ती स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे डॉक्टरों और नर्सिंग होम की मनमानी पर लगाम कसने के लिए की है, जो ना सिर्फ एक से ज्यादा अस्पताल में अपने नाम का उपयोग कर रहे हैं, बल्कि इनके नाम बतौर कंसल्टेंट कई अस्पतालों में लिखे जा रहे थे। गौरतलब है कि कोरोनाकाल में भारी तादाद में नए अस्पताल खोले गए। इन अस्पतालों के संचालकों ने जिन डॉक्टरों के नाम का उपयोग किया, उनके नाम पर दो या उससे भी ज्यादा अस्पताल संचालित हो रहे थे। कई डॉक्टरों के नाम भी कई अस्पतालों में लगाए गए बोर्ड पर लिखे गए थे।
निगम की एनओसी जरूरी
भोपाल नगर निगम सीमा में आवासीय प्लॉट पर चल रहे नर्सिंग होम या क्लीनिक के लाइसेंस बगैर नगर निगम की एनओसी लिए रिन्यू नहीं किए जाएं। इस संबंध में नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी ने सीएमएचओ को एक पत्र लिखा है। शहर में आवासीय प्लॉट पर संचालित नर्सिंग होम्स और क्लीनिक्स की सूची भी पत्र में संलग्न की गई है। आवासीय प्लॉट पर चल रहे अस्पतालों को लैंडयूज चेंज करने लिए कई बार अलग-अलग बैठकों और पत्रों के जरिए जानकारी दी गई है। इसके बाद भी इन अस्पताल संचालकों ने लैंडयूज चेंज नहीं करवाया है। इनमें पारुल अस्पताल, पारुलकर, एमकेएम स्टोन, मालती, ग्लोबस, ओजस, देवानी, भोपाल फ्रेक्चर, फेयरवेल, नवजीवन, अनुश्री, नाहर नर्सिंग होम और मेडिलीवर अस्पताल शामिल हैं। कमिश्नर का कहना है कि इन अस्पतालों ने कई बार सूचना देने के बाद भी लैंडयूज चेंज नहीं करवाया है।
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