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    पीएम मोदी के आदेश पर लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर केंद्र सरकार ने लगाई रोक, यूपीएससी को दिया सीधी भर्ती रोकने का आदेश

  • August 20, 2024

    नई दिल्ली. UPSC में लेटरल एंट्री (lateral entry) को लेकर बहस छिड़ने के बीच मंगलवार को केंद्र सरकार (central government) ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन (advertisement) पर रोक लगा दी है. इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी (UPSC) चेयरमैन को पत्र लिखा है. केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई गई है.


    क्यों लिया गया ये फैसला?

    कार्मिक मंत्री ने पत्र में कहा कि सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया गया है. दरअसल लेटरल एंट्री को संविधान में निहित समानता एवं सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप करने की जरूरत थी. इससे पहले UPSC ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें लेटरल एंट्री के जरिए 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली गई थी.

    बता दें कि लेटरल भर्ती में कैंडिडेट्स बिना UPSC की परीक्षा दिए रिक्रूट किए जाते हैं. इसमें आरक्षण के नियमों का भी फायदा नहीं मिलता है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है.

    इस पर विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मोर्चा संभालते हुए कहा था कि नौकरशाही में लेटरल एंट्री नई बात नहीं है. 1970 के दशक से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान लेटरल एंट्री होती रही है और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी ऐसी पहलों के प्रमुख उदाहरण हैं.

    लेटरल एंट्री को लेकर मचे बवाल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इसे लेकर बड़ा फैसला करने जा रही है. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग मंत्री जितेंद्र सिंह ने ‘संघ लोक सेवा आयोग’ (यूपीएससी) को चिट्ठी लिखी है, जिसमें इससे लेटरल एंट्री से भर्ती के विज्ञापन को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. जितेंद्र सिंह ने ये चिट्ठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के बाद लिखी है.

    दरअसल, यूपीएससी ने 18 अगस्त को विभिन्न मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी के पदों पर 45 स्पेशलिस्ट नियुक्त करने के लिए भर्ती निकाली. इन भर्तियों को लेटरल एंट्री के जरिए किया जाना था. हालांकि, इसे लेकर विपक्ष ने हंगाम खड़ा कर दिया और सरकार के इस कदम को आरक्षण छीनने की व्यवस्था बताया. लेटरल एंट्री के जरिए होने वाली भर्तियों के जरिए प्राइवेट सेक्टर के लोगों को भी बिना मंत्रालयों के प्रमुख पदों पर काम करने का मौका मिलता.

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