जनता ने किया लगाम का काम… सरपट दौड़ती विपक्ष को रौंदती सरकार…अब न फटाफट फैसले कर पाएगी…न खटाखट जनता पर लाद पाएगी…न रातोरात नियम बनाएगी…न जनता पर गाज गिराएगी…न रात 8 बजे का वक्त देश को डराएगा और न कोई फैसला बिना साथियों की सलाह-मशविरा के लिया जाएगा… इसके फायदे भी हंै और नुकसान भी…फायदा ये था कि जो बड़े फैसले गठबंधन की सरकार नहीं ले पा रही थी वो मोदी सरकार ने लिए…और नुकसान यह था कि उन फैसलों के परिणामों की परवाह ही नहीं की गई… मोदीजी के दिल में आया…कैबिनेट को रातोरात बुलाया… सभी के फोन बाहर धरवाए और नोटबंदी का फैसला सुनाया… दौड़ता देश सिसकियां लेने लगा… मोदीजी के आश्वासनों का दौर चलने लगा… पूरे 51 दिन हर रात एक नया फैसला आता था…नियमों को बदला जाता था… फैसले को काले धन से लेकर आतंकवाद मिटाने वाला बताया जाता था…नाकाम रहने पर चौराहे पर सजा देने का जज्बा दिखाया जाता था… नोटबंदी खत्म हुई तो सालों तक नतीजे देश से छुपाए गए…फिर जब आंकड़े सामने आए तो सौ प्रतिशत से ज्यादा नोट खजाने में नजर आए…इस मुसीबत से पीछा छूटा नहीं कि कोरोना के कहर से देश जूझा…विदेशों से विमान रोके नहीं गए, लेकिन देशवासी घर में झोंके गए… फिर रात 8 बजे भोंपू बजा…जो जहां है वहीं रहे का फरमान देश ने सुना… रातोरात ट्रेन, बस, विमान बंद कर दिए…जो जहां थे वहां फंस गए…महीनों मजदूर भूखे मरते रहे…लोग पैदल चलते रहे…जख्मों से भरा वो दौर गुजरा तो दूसरे दौर ने लाशों के ढेर लगाए और हम ऑक्सीजन तक नहीं जुटा पाए…जनता सबकुछ भूलती रही…देश के विकास के विश्वास पर चलती रही…मोदीजी को दूसरी बार बहुमत से जिताया…दूसरा दौर कश्मीर में शांति लाया…अयोध्या में मंदिर बनवाया…लेकिन मोदीजी का देश को जातियों में बांटना लोगों को नहीं भाया… विपक्ष को जेल में ठूंसना नहीं सुहाया… चलती सरकारों को जोड़-तोड़ कर गिराना और अपनी सरकार बनाना समझ में नहीं आया…फिर लफ्जों में मुजरा और मंगलसूत्र जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना…गांधीजी के लिए पहचान का संकट बताना बुरा लगा… पहले जुमले अच्छे लगते थे, मगर अब वो दिल में चुभते थे…लिहाजा सरकार बनाने का फैसला तो थमाया, लेकिन साथ में लगाम का भी काम दिखाया…अब मोदीजी उस अग्निपरीक्षा से गुजरेंगे, जहां फैसलों में दूसरे नेता भी शामिल रहेंगे…सरपट दौड़ती सरकार अब बैसाखियों पर चलेगी…रातोरात फैसलों का कहर नहीं टूटेगा… हर फैसला बहस से होकर गुजरेगा… लोकसभा के फैसले राज्यसभा में द्वंद्व से गुजरेंगे…अपनों की नहीं सुनने वाले मोदीजी को अब परायों की भी परवाह करना पड़ेगी…देश की स्थिरता अब अकेले मोदीजी के बूते पर नहीं रहेगी…
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