नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच आईसीएमआर ने तमाम अस्पतालों और डायग्नोस्टिक सेंटरों के लिए निर्देश जारी किए हैं. इसके मुताबिक कोरोना का परीक्षण किए जा रहे व्यक्तियों के टीकाकरण की स्थिति का दस्तावेजीकरण करना होगा. साथ ही टीकाकरण की स्थिति को RTPCR ऐप में नमूना रेफरल फॉर्म (SRF) में दर्ज करना होगा और RTPCR-RAT से जांच करवाना भी जरूरी होगा. इन तमाम स्थितियों से आंकड़े जमा करके उसे विश्लेषण के लिए आगे भेजा जाएगा.
आईसीएमआर की एक पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद संक्रमित लोगों में अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या 9.8 प्रतिशत और मृत्यु 0.4 प्रतिशत रही. अब आईसीएमआर के निर्देश के तहत वैक्सीनेशन स्थिति का डेटा आगे भेजकर टीकाकरण के बाद कोरोना संक्रमण की स्थिति का विश्लेषण किया जाएगा.
बेवजह परीक्षण कराने से बचाती है एडवाइजरी
दरअसल आईसीएमआर ने पिछले महीने कोविड-19 के लिए उद्देश्यपूर्ण परीक्षण रणनीति पर एक संशोधित एडवाइजरी जारी की थी जो बेवजह परीक्षण कराने से बचाती है. इसका मकसद किसी भी तरह के लक्षणात्मक मामले का जल्द से जल्द पता लगाना है. ऐसे लोग जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, पुरानी फेफड़े या गुर्दे की बीमारी या मोटापे से जूझ रहे हैं और उनकी जल्द से जल्द और ज्यादा देखभाल की जरूरत है उनके लिए ये एक अच्छी कोशिश है.
आईसीएमआर की जारी गाइडलाइन्स के मुताबिक गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण के लिए भर्ती सभी मरीजों का कोरोना परीक्षण करना जरूरी है. हालांकि सर्जरी और प्रसव जैसे आपातकालीन प्रक्रिया में परीक्षण की वजह से देरी नहीं होनी चाहिए. ICMR ने अपनी एडवाइजरी में अस्पताल में भर्ती मरीजों को सप्ताह में एक बार से ज्यादा कोरोना जांच न कराने की सलाह दी है. हालांकि निगरानी के लिए संपूर्ण जीनोम सिक्वेंसिंग करनी होगी. भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक सर्विलांस कंसोर्टियम की मानें तो सिर्फ पॉजिटिव नमूनों के सबसेट में जीनोम सिक्वेंसिंग होगी.
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