‘असंदीय शब्द एवं वाक्यांश संग्रह‘ पुस्तक का विमोचन
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार, 09 अगस्त से शुरू होने जा रहा है। इससे पहले विधानसभा स्थित मानसरोवर सभागार में रविवार को विधानसभा सचिवालय द्वारा सदस्यों के उपयोगार्थ तैयार की गई ‘असंसदीय शब्द एवं वाक्यांश संग्रह’ पुस्तिका का विमोचन किया गया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ, संसदीय कार्य एवं गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा, प्रतिपक्ष के मुख्य सचेतक डा. गोविंद सिंह सहित प्रदेश के अनेक मंत्री, सदस्य एवं अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है तो इस मंदिर की गरिमा बनी रहे, जनता की आस्था इस लोकतंत्र के मंदिर के प्रति प्रगाढ़ हो इसकी जिम्मेदारी भी हम सभी सदस्यों की ही है। हम सभी को यह प्रयास करना है कि आवेश, गुस्से या किसी भी परिस्थिति में माननीय सदस्य ऐसे शब्द का प्रयोग सदन में नहीं करेंगे जो असंसदीय हैं। विधानसभा सचिवालय ने अब तक सदन में जिन शब्दों को विलोपित किया गया है उसकी पूरी जानकारी इस पुस्तक में दी गई है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे सभी माननीय सदस्य गंभीर एवं प्रदेश के विकास के प्रति समर्पित हैं। वे चुनाव जीत कर जनता के समर्थन से यहां पहुंचे हैं। आप जनता के नायक हैं, इसलिए ऐसा व्यवहार ही करें कि आपकी नायक की छवि में और सुधार हो।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि हम कई बार जिन शब्दों का प्रयोग संसदीय भाषा में करते हैं उससे सही संदेश नहीं जाता है। विधानसभा लोकतंत्र का मंदिर है, ईंट और गारे का सिर्फ भवन नहीं है। यहां प्रतिपक्ष हो या सत्ता पक्ष अपनी बात तथ्यों, तर्कों के साथ रखते हैं। लेकिन सदन में बहस ऐसी हो उसमें भाषा संसदीय होना चाहिए एवं सदन कह गरिमा बनी रहना चाहिए। असंसदीय शब्द कौनसे हैं जो नहीं बोले जाने चाहिए इस पुस्तक में विस्तार से दिए गए हैं। यह पुस्तक सभी सदस्यों के लिए अत्यंत लाभदायक साबित होगी।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि प्रसन्नता का विषय है कि संसदीय शब्दावली पर पुस्तक तैयार की गई है। भारत को स्वतंत्रता दिलाने वाले महापुरूषों का स्वपन था कि भारत में ऐसे प्रजांतत्र की स्थापना हो जो संपूर्ण विश्व में एक उदाहरण प्रस्तुत करे। आज भारत की महानता उसके प्रजातंत्र से पहचानी जाती है। हमारी संसदीय पंरपरा की अपनी एक पहचान है, इसलिए सभी सदस्यों को ऐसा आचरण करना चाहिए जिससे प्रजातंत्र की यह पहचान बनी रहे। (एजेंसी, हि.स.)
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