जबलपुर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) में स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय में 7 करोड़ रुपये (Rs 7 Crore) के गबन का खुलासा हुआ है. ओमती थाना में एफआईआर (FIR) दर्ज होने के बाद से आरोपी संदीप शर्मा (Sandeep Sharma) 28 फरवरी से फरार है. इसी बीच, उसका एक सुसाइड नोट सामने आया है, जिसमें उसने गबन की पूरी जिम्मेदारी खुद ली है. उसने सुसाइड नोट में लिखा, ‘उसने सहकर्मियों की आईडी और पासवर्ड का गलत इस्तेमाल किया और फर्जीवाड़ा किया, इसलिए अब मैं आत्महत्या कर रहा हूं.’ अब इस खुलासे के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है.
मामले को लेकर बड़ा सवाल यह है कि क्या संदीप वाकई अकेला था, या इसके पीछे बड़े अधिकारियों की संलिप्तता भी है? मुख्य आरोपी लिपिक संदीप शर्मा पर आरोप है कि उसने फर्जी बिलों पर अधिकारियों से हस्ताक्षर कराकर डिजिटल दस्तावेजों में हेरफेर किया. उसने बढ़ी हुई राशि अपने पत्नी और परिचितों के खातों में ट्रांसफर कर दी. इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब एक बिल की कागजी और डिजिटल प्रतियों में अलग-अलग रकम दर्ज मिली.
शुरुआती जांच में 55 लाख रुपये की हेराफेरी का पता चला था, लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 7 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है. मामले के उजागर होते ही सहायक संचालक प्रिया विश्नोई और संपरीक्षक सीमा अमित तिवारी को निलंबित कर दिया गया, जबकि संयुक्त संचालक मनोज बरहैया का तबादला कर दिया गया. उनकी जगह रीवा से अमित विजय पाठक को नियुक्त किया गया है. चौंकाने वाली बात यह है कि जिन जॉइंट डायरेक्टर के मोबाइल पर भुगतान से जुड़े OTP आए थे, उन्हें जांच समिति में शामिल कर लिया गया है, जबकि उनकी भूमिका भी संदिग्ध है. विधायक ने इस पर सवाल उठाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है.
जांच में खुलासा हुआ कि संदीप शर्मा दस्तावेजों में हेरफेर कर शासकीय धनराशि अपने और अपने रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर करता था. वह कई रिटायर्ड कर्मचारियों की ग्रेच्युटी की राशि भी गबन कर चुका था. इस गड़बड़ी का फायदा उठाते हुए वह महंगी जीवनशैली जी रहा था. फ्लाइट से सफर, लग्जरी होटलों में ठहरना और हर महीने अपनी 34 हजार रुपये की सैलरी के बावजूद 4.44 लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करना. आरोपी ने अपनी पत्नी स्वाति शर्मा और 34 अन्य लोगों के खातों में यह पैसा ट्रांसफर किया. जब मामला खुला, तो प्रशासन ने तत्काल एक्शन लेते हुए जांच शुरू की.
बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि कोषालय के एक कर्मचारी ने वरिष्ठ अधिकारियों की ID का इस्तेमाल कर फर्जी बिल पास कराए और करोड़ों रुपये गबन कर लिए. यह घोटाला कब से चल रहा था, कितने बिलों में हेरफेर की गई और कितने और लोग इसमें शामिल थे? इसका खुलासा पूरी जांच के बाद ही हो पाएगा. लेकिन इस घटना ने सरकार की वित्तीय प्रणाली में मौजूद गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है. प्रशासन सकते में है और पुलिस आरोपी बाबू की तलाश में जुटी है.
संदीप ने सुसाइड नोट में लिखा है, ‘मैं संदीप शर्मा पूरे होश होवास में लिख रहा हूं की यह सभी ID का यूज मैंने ही किया है. जितने भी बिल फर्जी लगे हैं, मैंने इनकी आईडी उसे किया है. इस संबंध में कोई भी किसी प्रकार के दोषी नहीं है. सभी की आईडी का यूज मैंने किया है. मैंने सभी के साथ विश्वास घात किया है. मैं इस कारण कार्यालय नहीं आ सकता. इसलिए मैं यह सब लिख रहा हूं और शायद अब कभी नहीं आ पाऊंगा. मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है, इसलिए में आत्महत्या करने जा रहा हूं. यह फैसला मेरा है इसमें कोई भी किसी प्रकार का दोषी नहीं है.
संदीप ने आगे लिखा है, ‘गलती मैंने की है तो सजा मुझे मिलनी चाहिए. सीमा मेम, प्रिया मेम आदरणीय जेडी सर इन सब की आईडी का गलत इस्तेमाल मैंने गलत तरीके से किया है. हो सके तो माफ कर दीजिएगा. कोई भी रास्ता अब समझ में नहीं आ रहा है, इसलिए मैं संदीप शर्मा आत्महत्या करने जा रहा हूं. यह फैसला मेरा है, किसी का कोई दबाव नहीं है. हो सके तो क्षमा करिएगा. परिवार वालों से नजरे नहीं मिला सकता, मैं उनका भी दोषी हूं.’ यह सुसाइड नोट छोड़ने के बाद 28 फरवरी से संदीप शर्मा गायब है.
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