लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी (BSP) अयोध्या की मिल्कीपुर (Milkipur) विधानसभा सीट (Assembly Seat) पर होने वाला उपचुनाव (by-election) नहीं लड़ेगी। पहले पार्टी ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी रामगोपाल कोरी (Ram Gopal Kori) को उपचुनाव लड़वाने का फैसला लिया था, जिन्होंने जमकर प्रचार भी किया था। नौ सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayavathi) ने उपचुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए भविष्य में कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया था।
वहीं दूसरी ओर बसपा दिल्ली विधानसभा चुनाव पर ही पूरा फोकस कर रही है। पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद बीती 5 जनवरी को दिल्ली में बड़ी जनसभा को संबोधित कर चुके हैं। वहीं आगामी 12 जनवरी को उनकी दूसरी जनसभा है। दिल्ली चुनाव में बसपा इंडिया गठबंधन के दलों के बीच उठापटक की पोल खोल रही है, ताकि बसपा प्रत्याशियों की जीत की राह को आसान बनाया जा सके।
भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला
बसपा के मैदान से बाहर जाने से मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार बढ़ गए हैं। सपा ने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को टिकट दिया है तो भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वहीं आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने भी मिल्कीपुर में अपना प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है, जिससे मुकाबला रोचक हो सकता है। बता दें कि कांग्रेस ने मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा प्रत्याशी का समर्थन करने का एलान किया है।
चुनाव आयोग से सख्त निर्णय लेने को कहा था
बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने 23 नवंबर को नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ने का एलान किया था। उन्होंने कहा था कि जब तक चुनाव आयोग फर्जी मतदान रोकने के लिए कोई सख्त निर्णय नहीं लेता है, तब तक बसपा किसी भी उपचुनाव में भाग नहीं लेगी।
केवल दिल्ली के चुनावों पर फोकस
बसपा केवल दिल्ली चुनाव पर फोकस कर रही है। दिल्ली के दलित और ओबीसी मतदाताओं को बताया जाएगा कि किस तरह कांग्रेस, सपा और आम आदमी पार्टी उनके वोट हासिल करने के लिए छलावे की राजनीति कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के मंच पर दलितों और ओबीसी नेताओं को जगह नहीं मिलती है। सपा दिल्ली में आप का समर्थन कर रही है, जबकि मिल्कीपुर में कांग्रेस का समर्थन ले रही है। यह उनके भरोसे के साथ विश्वासघात है।- विश्वनाथ पाल, बसपा अध्यक्ष (यूपी)
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