आज यानि 10 अगस्त को सावन माह का तीसरा मंगला गौरी (Mangala Gauri) का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ये व्रत करने से विवाह और वैवाहिक जीवन की हर समस्या दूर हो जाती है। अगर कुंडली में मंगल दोष बाधा उत्पन्न कर रहा है तो इस दिन की पूजा अत्यधिक लाभदायी होती है। पति की लंबी आयु के लिए इस दिन शादीशुदा महिलाओं (married women) व्रत करती हैं। इस बार सावन का तीसरा मंगला गौरी का व्रत मंगलवार, 10 अगस्त को पड़ रहा है।
कौन हैं मां मंगला गौरी-
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मां मंगला गौरी आदि शक्ति माता पार्वती का ही मंगल रूप हैं। इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि के आठवें दिन मां के इसी स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि माता पर्वती ने भगवान शिव (Lord Shiva) को पति स्वरूप में पाने के लिए कठोर तप किया। इस कारण उनका रंग काला पड़ गया था, लेकिन भगवान शंकर ने गंगा जल से प्रयोग से मां को फिर गोरा रंग प्रदान किया। इसी वजह से इनका नाम महागौरी पड़ गया। मां मंगला गौरी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और श्वेत आभूषण भी, इसलिए इन्हें श्वेतांबरी भी कहा जाता है।
मंगला गौरी व्रत करने की विधि-
इस व्रत के दौरान ब्रह्म मुहूर्त (wee hours) में जल्दी उठें। नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा नए वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए। इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है। मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें। फिर ‘मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए।
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