• img-fluid

    500 वर्षों तक कुएं में रखा गया था महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, जानिए वजह

  • October 11, 2022

    उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर (Ujjain city of Madhya Pradesh) में स्थित श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) देश का इकलौता दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग हैं। यहां भगवान शिव भक्तों (Lord Shiva devotees) को कालों के काल महाकाल के रूप में दर्शन देते हैं। महाकाल मंदिर से जुड़ी कई प्राचीन परंपराएं और रहस्य हैं। कहा जाता है कि अवंतिकापुरी के राजा विक्रमादित्य बाबा महाकाल के भक्त थे और भगवान शिव के ही आशीष से उन्होंने यहां करीब 132 सालों तक शासन किया। महाकालेश्वर मंदिर कितना प्राचीन है इसकी सटीक जानकारी मिलना बेहद मुश्किल है। लेकिन सदियों से यह स्थान लोगों की आस्था का केंद्र है।

    मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है। मुगलों और ब्रिटिश हुकूमत के आधीन रहने के बाद भी देश के इस पावन स्थल ने अपनी पुरातन पहचान को नहीं खोया। सनातन धर्म की पताका को ऊंचा रखने के लिए धर्म की रक्षा से जुड़े लोगों ने ज्योतिर्लिंग को तरह-तरह के जतन कर आक्रांताओं से सुरक्षित रखा। कई दशक बीत जाने के बाद वर्तमान दौर में मंदिर का एक अलग ही स्वरूप दर्शनार्थियों को देखने को मिलता है, वहीं आज (11 अक्टूबर) महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद लोग उज्जैन के एक अलग वैभव को देखेंगे। आइए आज के ऐतिहासिक दिन पर हम आपको महाकालेश्वर के इतिहास से रूबरू कराते हैं।


    कहा जाता है कि 1235 में महाकालेश्वर मंदिर को दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था। आक्रमण के दौर में महाकाल मंदिर के गर्भगृह में स्थित स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को आक्रांताओं से सुरक्षित बचाने के लिए करीब 550 वर्षों तक पास में ही बने एक कुएं में रखा गया था। औरंगजेब ने मंदिर के अवशेषों से एक मस्जिद का निर्माण करा दिया था। मंदिर टूटने के बाद करीब 500 वर्षों से अधिक समय तक महाकाल का मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में रहा और ध्वस्त मंदिर में ही महादेव की पूजा आराधना की जाती थी, लेकिन जब कई वर्षों बाद 22 नवंबर 1728 में मराठा शूरवीर राणोजी राव सिंधिया ने मुगलों को परास्त किया तो उन्होंने मंदिर तोड़कर बनाई गई उस मस्जिद को गिराया और 1732 में उज्जैन में फिर से मंदिर का निर्माण करा ज्योतिर्लिंग की स्थापना की।

    राणोजी ने ही बाबा महाकाल ज्योतिर्लिंग को कोटि तीर्थ कुंड से बाहर निकालवाया था और महाकाल मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था। इसके बाद राणो जी ने ही 500 बरस से बंद सिंहस्थ आयोजन को भी दोबारा शुरू कराया। महाकवि कालिदास के ग्रंथ मेघदूत में महाकाल मंदिर की संध्या आरती का जिक्र मिलता है। साथ ही इस ग्रंथ में महाकाल वन की कल्पना भी की गई है। कहा जाता है कि उज्जैन के तत्कालीन राजा विक्रमादित्य ने महाकाल मंदिर का विस्तार कराया था।

    उन्होंने मंदिर परिसर में धर्म सभा बनवाई, जहां से वह न्याय किया करते थे। राजा विक्रमादित्य ने कई प्रकार की प्रतिमाओं का निर्माण भी करवाया था। वहीं, 7वीं शताब्दी के बाण भट्ट के कादंबिनी में महाकाल मंदिर का विस्तार से वर्णन किया गया है। 11वीं शताब्दी में राजा भोज ने देश के कई मंदिरों का निर्माण करवाया था, जिनमें महाकाल मंदिर भी शामिल रहा। उन्होंने महाकाल मंदिर के शिखर को पहले से ऊंचा करवाया था।

    राजस्थान के राजा जयसिंह द्वितीय ने 1280 में महाकाल के शिखर पर शिलालेख में सोने परत चढ़वाई थी। साथ ही उन्होंने कोटि तीर्थ का निर्माण भी कराया था। वहीं, 1300 ईस्वी में रणथम्भौर के राजा हमीर शिप्रा नदी में स्नान के बाद बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचे थे। उन्होंने महाकाल मंदिर की जीर्ण शीर्ण अवस्था देखकर इसका विस्तार कराया। 1700 वीं शताब्दी में मेवाड़ के राजा जगत सिंह ने उज्जैन की तीर्थ यात्रा की और यहां कई निर्माण कार्य करवाए।

    Share:

    दो नाबालिगों सहित सात लोग हिरासत में लिए गए 'सर तन से जुदा' के नारे लगाने पर

    Tue Oct 11 , 2022
    अमेठी । उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में (In Amethi district of Uttar Pradesh) बारावफात जुलूस के दौरान (During Barawafat Procession) ‘सर तन से जुदा’ (‘Sir Tan Se Juda’) के नारे लगाने पर (For Raising Slogans) दो नाबालिगों सहित सात लोग (Seven People including Two Minors) हिरासत में लिए गए (Detained) । घटना का एक […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    शुक्रवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved