नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) का निधन आज भी एक रहस्य बना हुआ है। इसी रहस्य को जानने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) पर शोध कर रहे कर्नाटक (Karnataka) के हुगली के कोन्नगर निवासी सयाक सेन ने सूचना के अधिकार के तहत केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (Central Forensic Science Laboratory) से गुमनामी बाबा के डीएनए सैंपल की रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन शनिवार को सरकार द्वारा संचालित प्रयोगशाला ने ‘गुमनामी बाबा’ के डीएनए नमूने पर रिपोर्ट शेयर करने से साफ इनकार कर दिया है।
सयाक सेन ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि लैब द्वारा उसकी आरटीआई को खारिज करने के तीन कारण बताए गए हैं। इनमें से एक प्रमुख कारण बताया गया है कि गुमनामी बाबा की एलेक्ट्रोफेरोग्राम रिपोर्ट सार्वजनिक करना भारत की संप्रभुता और विदेशी राज्यों के साथ उसके संबंधों को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा सेन ने अपने आरटीआई में यह भी पूछा कि उत्तर प्रदेश के सुदूर इलाके में रहने वाला एक व्यक्ति भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए इतना मायने क्यों रखता है और अगर उसका इलेक्ट्रोफेरोग्राम सार्वजनिक किया जाता है तो देश में हलचल कैसे मच जाएगी। सेन ने कहा, स्पष्ट संकेत हैं कि गुमनामी बाबा एक आम आदमी से कहीं अधिक थे, और विशेष थे। मेरे सभी निष्कर्षों के अनुसार गुमनामी भेष में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।
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