उज्जैन। शहर में कई ऐसे हेरिटेज स्थान है जिसे दर्शनीय स्थल बनाया जा सकता था जिनमें से एक कालियादेह महल है जो कि वर्षों से खंडहर पड़ा हुआ है और कई बार इसे होटल बनाने के लिए भी चर्चा हुई, किन्तु जैसा अक्सर होता है कि उज्जैन के विकास पर चर्चा टेबलों तक ही सीमित रह जाती है और आगे मूर्त रूप नहीं ले पाती..।
हजारों साल की ऐतिहासिक विरासत से जुड़े स्थल देश सहित मध्य प्रदेश के तमाम शहरों में बिखरे पड़े हैं। ऐसे विरासत स्थलों की भरमार मध्य प्रदेश के गांवों में खूब देखने को मिलती है। सरकार की कोशिश है कि इतिहास की समृद्ध तस्वीर को पेश करते ऐसे गांवों को हेरिटेज विलेज पर्यटन गांव का दर्जा देकर उन्हें विरासत स्थल के तौर पर विकसित किया जाए। केंद्र सरकार की योजना और मध्य प्रदेश शासन की मंशा अनुसार ऐसा स्थान उज्जैन बाबा महाकाल की नगरी में है जिस पर अगर काम किया जाए तो यह स्थान बहुत ही सुंदर बन सकता है। उज्जैन का कालियादेह महल और कालियादेह क्षेत्र हजारों वर्ष पुरानी प्राचीन विरासतों को आज भी समेटे हुए हैं। यहाँ की सुंदरता इतनी है कि विशेषकर वर्षा ऋतु में यहाँ सैलानी जाना बेहद पसंद करते हैं। यहाँ का सूर्य मंदिर, बावन कुंड और ऐतिहासिक महल की प्राचीन गाथा जो कि कई ऐतिहासिक पन्नों पर आज भी सुनाई जाती है और दिखाई देती है। इस स्थान को अगर केंद्र सरकार के माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार पर्यटन ग्राम घोषित करे तो यह स्थान विश्व भर के पर्यटकों को बेहद पसंद आएगा। कालियादेह क्षेत्र को मालवा की परंपरा अनुसार सजाया और संवारा जा सकता है और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
यह है कालियादेह महल का प्राचीन इतिहास
कालियादेह पैलेस उज्जैन शहर के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। इस महल का निर्माण मांडू के सुल्तान ने वर्ष 1458 ई. में करवाया था। यह महल शिप्रा नदी के मध्य एक द्वीप पर स्थित है। इस महल की वास्तुकला बहुत महत्वपूर्ण है और इसमें एक बड़ा केंद्रीय हॉल है जिसे मध्य क्षेत्र भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश के पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक, यह कालियादेह महल उज्जैन की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक है। इस महल के दोनों किनारों पर शिप्रा नदी बहती है जो पूरे परिदृश्य को शानदार बनाती है। यह महल उज्जैन के सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है। शिप्रा नदी के तट पर स्थित यह स्थान कभी सूर्य मंदिर के रूप में जाना जाता था। उज्जैन शहर में कालियादेह महल क्षिप्रा नदी के मध्य में इस प्रकार बनाया गया है कि नदी का पानी छोटी-छोटी नहरों के माध्यम से बहता है। इस महल से एक परिस्थितिजन्य सुल्तान की कहानी भी जुड़ी हुई है। एक दिन इसी महल के अंदर बहने वाली नदी में डूबकर उनकी मृत्यु हो गई। यह महल मध्यकालीन इतिहास की एक प्रसिद्ध इमारत है। पुराणों में यहां ब्रह्म कुंड का उल्लेख मिलता है। यहाँ लगे एक शिलालेख से पता चलता है कि इस महल का निर्माण 1458 ई. में मुहम्मद खिलजी के समय हुआ था। 16वीं शताब्दी में मांडू के सुल्तान नसीरुद्दीन खिलजी ने मूल स्थान को तोड़कर कालियादेह महल का निर्माण कराया। पूर्ववर्तियों की तकनीकी क्षमता उनके द्वारा बनाए गए टैंकों और चैनलों से पता चलती है। महल अपने गौरव के दिनों में इतना आकर्षक था कि एक बार सम्राट अकबर और जहांगीर ने इस आश्चर्यजनक कालियादेह महल, उज्जैन का दौरा किया था, जिसका उल्लेख महल के एक गलियारे में खुदी हुई दो फारसी नक्काशी में किया गया है। स्तंभ के मध्य का अखाड़ा फारसी वास्तुकला शैली में बनाया गया है। पिंडारियों के शासन काल में शिलालेख नष्ट कर दिये गये लेकिन बाद में वर्ष 1920 में, यह माधवराव सिंधिया ही थे जिन्होंने इसकी शानदार आंतरिक सुंदरता को देखकर इसे पुनस्र्थापित करने के बारे में सोचा। कालियादेह पैलेस, उज्जैन एक जलीय विस्तार के बीच में एक अच्छे द्वीप का विचार देता है। इसमें परिदृश्य की सारी सुंदरता शामिल है और जो इसे और अधिक मूल्यवान बनाती है। कालियादेह महल अब खंडहरों में बदल गया है और यह नदी में जो कुंड बने हुए हैं उन्हें आज 52 कुंड के नाम से जाना जाता है। ये पत्थरों से निर्मित है इनमें एक कुंड से दूसरे कुंड में पानी जाता है, यह एक-दूसरे को जोड़ते हैं यह बहुत सुन्दर नजारा लगता है। यहाँ पर सूर्य मंदिर और नव ग्रह मंदिर भी है। वर्तमान में इस महल पर सिंधिया वंश का अधिकार है।
मध्य प्रदेश शासन द्वारा इन शहरों के हेरिटेज महत्व को देखते हुए दिया गया है पर्यटन ग्राम का दर्जा
एमपी में गुर्जर प्रतिहार वंश के ऐतिहासिक अवशेषों से अटे पड़े मुरैना जिले के 3 गांव (मितावली, गढ़ी पढ़ावली और बटेश्वर) को एमपी सरकार द्वारा पर्यटन ग्राम का दर्जा दिया जा चुका है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी की दूरी पर मोहखेड़ विकासखंड में स्थित देवगढ़ गौंड राजा जाटवा शाह की राजधानी हुआ करता था और पुणे से पहले बसा शहर है। इस स्थान के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को योजना बनाकर भेज दिया है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved