– प्रियंका सौरभ
देश में पड़ रही भीषण गर्मी से डेली वर्कर्स, विशेषकर डिलीवरी कर्मियों, ईंट-भट्ठों पर काम करने वालों और दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए कामकाजी परिस्थितियां गंभीर हो गई हैं। भीषण गर्मी ने खुला काम करने वाले वर्कर्स के लिए कठोर कार्य स्थितियों और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर किया है। इस भीषण गर्मी में कई लोग खुले वातावरण और गर्म मौसम में काम करने के लिए मजबूर हैं। अगर वे काम नहीं करेंगे, तो उनके घर खाना नहीं पकेगा। यह उनके जीवन-यापन का एकमात्र साधन है। ऐसे लोग अकसर काफी गरीबी में जीने के लिए विवश होते हैं। साफ पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं से वंचित झुग्गियों के घर टिन या तारपोलिन की छतों के नीचे तपती गर्मी झेलते हैं। चूंकि ये काम ज्यादातर खुले वातावरण में ही करने पड़ते हैं, तो भीषण गर्मी में इन लोगों के बीमार पड़ने का खतरा भी ज्यादा रहता है। इनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए चल रहे प्रयासों और नई पहलों को विकसित किया जाना चाहिए, जिससे उनकी भलाई और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
भारत में हाल ही में कई क्षेत्रों में तापमान को 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच दआ, जिससे डेली वर्कर्स, खासकर डिलीवरी कर्मियों और दिहाड़ीदार मजदूरों के सामने आने वाली चुनौतियों में इजाफा हुआ है। इस प्रकार के खुला काम करने वाले इस दौरान श्रमिक पर्याप्त स्वास्थ्य-सुरक्षा उपायों और न्यूनतम ब्रेक के बिना चरम मौसम की स्थिति के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण गर्मी से थकावट और निर्जलीकरण से पीड़ित हुए हैं, जिससे पता नहीं कितनों की जान असमय गई है। दिहाड़ीदार मजदूर स्थायी नौकरियों के बजाय अल्पकालिक अनुबंध या फ्रीलांस काम करते है। इस में उबर, स्विगी और जोमैटो जैसे डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए अस्थायी, लचीले और प्रोजेक्ट-आधारित काम करने वाले भी शामिल हैं । ये नौकरियां लचीलापन प्रदान करती हैं , लेकिन इन लोगों को पारंपरिक रोजगार से जुड़े लाभों और सुरक्षाओं का अभाव होता है।
अगर वे काम नहीं करेंगे, तो उनके घर खाना नहीं पकेगा। यह उनके जीवन-यापन का एकमात्र साधन है। ऐसे लोग अकसर काफी गरीबी में जीने के लिए विवश होते हैं। साफ पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं से वंचित झुग्गियों के घर टिन या तारपोलिन की छतों के नीचे तपती गर्मी झेलते हैं। चूंकि ये काम ज्यादातर खुले वातावरण में ही करने पड़ते हैं, तो भीषण गर्मी में इन लोगों के बीमार पड़ने का खतरा भी ज्यादा रहता है। ऐसे श्रमिकों को अक्सर स्वास्थ्य बीमा, सेवानिवृत्ति लाभ या सवेतन अवकाश की सुविधा नहीं मिलती, जिससे बीमारी या चोट के समय वे आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। श्रमिकों की आय अत्यधिक परिवर्तनशील और अप्रत्याशित होती है, जिससे वित्तीय योजना बनाना मुश्किल हो जाता है। श्रमिकों को कठोर कार्य स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें चरम मौसम का सामना करना भी शामिल है।इनको आमतौर पर स्वतंत्र ठेकेदारों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जिससे उन्हें कई श्रम सुरक्षा से वंचित रखा जाता है जो औपचारिक कर्मचारियों को प्राप्त होती हैं।
ऐसे विपरीतस मय में श्रमिकों को संरक्षण और निष्पक्ष व्यवहार के लिए आवश्यक प्रबंध करने की जरूरत है। सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य लाभ के लिए वर्कर्स को स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ और पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करनाबहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए: राजस्थान प्लेटफार्म आधारित वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) विधेयक, 2023 का उद्देश्य वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, जो अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय मिसाल कायम करेगा।
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