नई दिल्ली. इजरायल (Israel) और हमास (Hamas) के बीच की जंग (war) सालभर से ज्यादा समय से जारी है. इस जंग में दोनों ओर से जमकर नुकसान हुआ है. संयुक्त राष्ट्र (UN) और मानवाधिकार आयोग (Human Rights Commission) कई बार इस जंग को रोकने की बात कह चुका है. ऐसे कई मौके भी आए जब सीजफायर (ceasefire) को लेकर बैठकें की गई. लेकिन बात नहीं बनी. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सीजफायर की दिशा में कामयाबी मिल सकती है.
सीआईए (CIA) के निदेशक बिल बर्न्स (Bill Burns) ने गाजा सीजफायर को लेकर एक नए प्रस्ताव पर चर्चा की है. उन्होंने इजरायल और कतार के समकक्षों के साथ इस प्रस्ताव पर चर्चा की. यह प्रस्ताव हमास की ओर से इजरायल के आठ बंधकों को रिहा करना और उसके बदले गाजा में 28 दिों का सीजफायर लागू करना है. अगर इस प्रस्ताव पर सहमति बन जाती है तो सीजफायर को लेकर बीते दो महीनों से चल रहा गतिरोध खत्म हो जाएगा.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहले ही कह चुके हैं कि वह आंशिक सीजफायर डील के लिए ही तैयार होंगे ना कि युद्ध को पूरी तरह से खत्म करने के लिए. इजरायल अस्थाई तौर पर सीजफायर पर सहमत हुआ है लेकिन हमास इस पर पूरी तरह से संघर्षविराम चाहता है. एक इजरायली अधिकारी ने बताया कि अगर दोनों पक्ष इसी तरह से अपने रुख पर अड़े रहे तो यह डील नहीं हो सकती.
गाजा में सीजफायर को लेकर इजरायल में प्रदर्शन
बता दें कि कुछ महीने पहले गाजा में सीजफायर की मांग को लेकर इजरायल के शहर यरूशलम में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे. इजरायल की सरकार से बंधकों की रिहाई के लिए हमास से समझौते की मांग की है. इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने गाजा में इजरायली सैन्य अभियान का भी विरोध किया. बंधक बनाए गए लोगों के परिजनों डर है कि यदि इजरायल गाजा में सैन्य अभियान जारी रखता है तो युद्ध लंबा खिंचेगा. ऐसी स्थिति में ज्यादा बंधक मारे जाएंगे.
इजरायल की सैन्य कार्रवाई और गाजा की घेराबंदी की वजह से लाखों फिलिस्तीनी भूख से मरने की कगार पर पहुंच गए हैं. ऐसे में अमेरिका और यूएई सहित कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां आसमान के जरिए लगतार गाजा में फूड पैकट गिरा रही है. बीते दिनों अमेरिकी विमानों ने खान यूनस और रफाह में फूड पैकेट गिराए गए. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक इजरायल ने इस जंग के दौरान गाजा पट्टी को पूरी दुनिया से अलग-थलग कर दिया है.
इजरायली सैन्य कार्रवाई की वजह से गाजा जहां पूरी तरह से तबाह हो चुका है. यहां की 23 लाख की आबादी में से 80 फीसदी लोग बेघर हो गए हैं, वहीं 10 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी अकाल का सामना कर रहे हैं. बाकी बचे लोग मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पा रहे हैं.
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