नई दिल्ली। जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत के वित्तीय सेवा परिदृश्य को नया रूप दे रहा है। इससे ग्राहक जुड़ाव, परिचालन दक्षता और जोखिम मूल्यांकन में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है। ईवाई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जेनरेटिव एआई 2030 तक बैंकों की परिचालन क्षमता को 46 फीसदी तक बढ़ा सकता है। साथ ही, अगले पांच साल में भारतीय वित्तीय सेवाओं के उत्पादकता स्तर में भी 34 से 38 फीसदी इजाफा हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, जेनरेटिव एआई में निवेश लगातार बढ़ रहा है। 42 फीसदी संगठन सक्रिय रूप से एआई पहल के लिए बजट आवंटित कर रहे हैं। वे वॉयस बॉट्स, ईमेल ऑटोमेशन, बिजनेस इंटेलिजेंस और वर्कफ्लो ऑटोमेशन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में जेनरेटिव एआई को तेजी से अपना रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्राहक सेवा सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसे और बेहतर करने के लिए 68 फीसदी कंपनियां जेनरेटिव एआई को प्राथमिकता दे रही हैं। 47 फीसदी कंपनियां परिचालन क्षमता बढ़ाने, 26 फीसदी बिक्री में वृद्धि और 21 फीसदी कंपनियां सूचना प्रौद्योगिकी को मजबूत करने के लिए जेरनेटिव एआई अपना रही हैं।
यह रिपोर्ट देशभर के 125 से अधिक कॉरपोरेट अधिकारियों से बातचीत के आधार पर तैयार की गई है। वे वित्तीय सेवाओं, खुदरा, स्वास्थ्य सेवा, लाइफ साइंस, मीडिया-मनोरंजन, प्रौद्योगिकी, वाहन, औद्योगिक और ऊर्जा सहित विविध क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ईवाई इंडिया में साझेदार एवं वित्तीय सेवा प्रमुख प्रतीक शाह ने कहा, जेनरेटिव एआई में निवेश पहले से ही अनुकूल परिणाम दे रहे हैं। करीब 63 फीसदी कंपनियों ने ग्राहक संतुष्टि के स्तर में सुधार देखा है, जबकि 58 फीसदी ने लागत में कमी की बात स्वीकार की है। शाह ने कहा, एआई संचालित समाधानों ने सामान्य व्यावसायिक गतिविधियों की प्रति इकाई लागत को 10वें हिस्से तक कम कर दिया है।
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