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    ब्रह्मोस से लैस INS Imphal बनेगा नौसेना का हिस्सा, समुद्र में बढ़ेगी भारत की ताकत

  • December 25, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। रडार को चकमा (Dodge the radar) देने वाला गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर आईएनएस इंफाल (Guided Missile Destroyer INS Imphal) मंगलवार को भारतीय नौसेना (Indian Navy) के बेड़े में शामिल होगा। इसे नौसेना की पश्चिमी कमान (Western Naval Command) में तैनात किया जाएगा। भारत में बना यह युद्धपोत (warship made in India) सतह से सतह पर वार करने वाली भारतीय मिसाइल प्रणाली ब्रह्मोस से भी लैस (Also equipped with Indian missile system BrahMos) है। इसके नौसेना के बेड़े में शामिल होने से समुद्र में हमारी ताकत बढ़ जाएगी। इसे हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के खिलाफ एक ताकतवर रक्षा दीवार बनाने में मदद करेगा।


    आईएनएस इंफाल को मुंबई में नौसैनिक डॉकयार्ड में कमीशन किया जाएगा, इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे। इसे 20 अक्तूबर को नौसेना को सौंपा गया था। इसका 75 प्रतिशत हिस्सा भारत में ही बना है। इसमें तैनात की जा रही ब्रह्मोस मिसाइल भी भारत में विकसित हैं। पिछले महीने ही विस्तारित दूरी की सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल को भी इसके जरिए सफलता से दागा गया। कमीशन से पहले ही भारत में बने किसी युद्धपोत में ऐसा परीक्षण पहली बार हुआ।

    ताकत, तकनीक और क्षमता में बेजोड़
    विशाखापट्टनम श्रेणी के डिस्ट्रॉयर का चौथा युद्धपोत है। इसे नौसेना के ही युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया और मुंबई में मझगांव डॉक लि. ने बनाया। आत्मनिर्भर भारत मिशन और भारत की बढ़ती क्षमता का उदाहरण माना जा रहा है।

    ब्रह्मोस के साथ यह मध्यम दूरी की सतह से सतह पर वार करने वाली मिसाइल, एंटी-शिप मिसाइल और टारपीडो भी दाग सकता है। भारत में बने एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर और 76 एमएम की सुपर गन माउंट भी इसमें हैं।

    56 किमी. प्रति घंटा रफ्तार
    इसे संयुक्त गैस और गैस प्रोपल्शन से शक्ति मिलती है, जिससे यह 30 नॉट (56 किमी) प्रतिघंटे की रफ्तार पकड़ सकता है। यह परमाणु, जैविक और केमिकल हमलों के बीच भी काम करने में सक्षम। लड़ने की क्षमता बढ़ाने और बचाव के लिए उच्च स्तरीय ऑटोमेशन भी रखा गया है।

    सबसे तेजी से बना
    आईएनएस इंफाल का नौतल 19 मई 2019 को रखा गया था। 20 अप्रैल 2019 को जहाज पहली बार पानी में उतारा गया। इसके बाद इसी साल 28 अप्रैल से इसके पूर्ण परीक्षण समुद्र में शुरू हुए और 6 महीने के भीतर 20 अक्तूबर को इसे नौसेना को सौंप दिया गया। इस लिहाज से यह अपने आकार का भारत में सबसे तेजी से बना डिस्ट्रॉयर है।

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