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इंदौर : मंडल अध्यक्ष के लिए विधायकों के दरवाजे खटखटाने लगे दावेदार

November 13, 2024

विधायकों की पसंद के ही बनते हैं मंडल अध्यक्ष, चुनाव प्रक्रिया तो केवल दिखावा

इंदौर। संजीव मालवीय
भाजपा (BJP) का संगठन पर्व चालू है और अगले महीने मंडल अध्यक्षों (Divisional Presidents) का चुनाव (Election) भी हो जाएगा। हालांकि चुनाव प्रक्रिया से ही अध्यक्ष तय होने की कवायद की जा रही है, लेकिन इसमें हर बार की तरह विधायकों (Legislators) की ही चलना है। इसी को लेकर दावेदारों ने अभी से ही विधायकों के दरवाजों पर धोक लगाना शुरू कर दी है, ताकि विधायक उनका नाम रख दें। वैसे इस बार कुछ विधानसभाओं (Assemblies) में उठापटक होने के पूरे आसार हैं और ऐनवक्त पर सूची भोपाल के भरोसे छोड़ दी जाएगी।



फिलहाल तो पार्टी बूथ अध्यक्षों के चुनाव पर ध्यान दे रही है, जो कल से शुरू होना है, लेकिन क्षेत्र के बड़े नेता मंडल अध्यक्षों को लेकर अभी से मंथन करने में लग गए हैं। भाजपा के आंतरिक लोकतंत्र में मंडल अध्यक्ष के चुनाव का नियम है, लेकिन हर बार रायशुमारी के बावजूद विधायक और बड़े नेताओं की पसंद का मंडल अध्यक्ष बना दिया जाता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही होने के आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि दावेदारों की संख्या ज्यादा है। इसको लेकर विधायक और चुनाव लडऩे वाले चाहते हैं कि वह उनके पक्ष का हो। इंदौर में 28 तो ग्रामीण क्षेत्र में 15 मंडल हैं और सभी के दावेदार अब बड़े नेताओं को धोक देने में लग गए हैं। चुनाव अगले महीने होना है। सूत्रों का कहना है कि इस बार कुछ मंडलों में दावेदारों की संख्या बढ़ सकती है। अगर ऐसा रहा और विवाद बढ़ा तो फिर भोपाल से ही मंडल अध्यक्षों के नाम की घोषणा होगी।
इंदौर की 9 विधानसभाओं के मंडलों पर एक नजर-

विधानसभा 1
इस विधानसभा में 5 मंडल अध्यक्ष आते हैं। यह तो तय है कि अब यहां कैलाश विजयवर्गीय की पसंद के मंडल अध्यक्ष बनेंगे। हालांकि विजयवर्गीय ने सालभर में यहां ऐसे कई दावेदारों की परीक्षा भी ली है और उनमें से कुछ नाम फाइनल हो सकते हैं।

विधानसभा 2
यहां कुल 6 मंडल हैं और विधायक रमेश मेंदोला का कहा पत्थर की लकीर साबित होता है। मेंदोला ने जिसका नाम दे दिया, उसका विरोध भी कोई नहीं करता। वैसे वे हर बार सारे के सारे बदल डालते हैं।

विधानसभा 3
गोलू शुक्ला यहां से नए-नवेले विधायक हैं। वैसे वे अपनी टीम बनाने में लगे हैं तो संगठन की इस महत्वपूर्ण कड़ी पर भी अपने ही समर्थकों को बिठाना चाहेंगे। फिलहाल यहां 3 मंडल हैं और तीनों में ही आकाश विजयवर्गीय के समर्थक हैं। आकाश भी 3 नंबर में कोई हस्तक्षेप नहीं करते हैं। वैसे विधायक शुक्ला ने एक मंडल में तो अपनी ओर से मंडल प्रभारी भी घोषित कर दिया है, केवल घोषणा बाकी है।

विधानसभा 4
महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी चाह रहे हैं कि यहां संगठन के पदों पर उनका कब्जा हो और ये वर्तमान विधायक मालिनी गौड़ होने नहीं देंगी। इसलिए कुछ मंडल को लेकर घमासान मच सकता है। 4 नंबर में 4 ही मंडल हैं और सभी पर विधायक समर्थकों का कब्जा है।

विधानसभा 5
क्षेत्रफल के हिसाब से शहरी क्षेत्र में यह विधानसभा बड़ी है, लेकिन मंडल 5 ही हैं, जिनमें से एक मंडल तो पूरी तरह से अल्पसंख्यक वार्डों का है। बचे हुए 4 मंडलों में घमासान रहेगा। बाबा को तय करना है कि वे किसे मौका देंगे। यहां गौरव अपनी पसंद बता सकते हैं। एक मंडल में चल रही अध्यक्ष पद की लड़ाई पिछले दिनों बैठक में सामने आई थी।

विधानसभा राऊ
यहां चलना विधायक मधु वर्मा की है। पिछली बार के सभी मंडल अध्यक्ष यहां बदले जाना हैं। वैसे यहां शहरी क्षेत्र में 3 और ग्रामीण क्षेत्र में 2 मंडल आते हैं। एक मंडल पर जीतू जिराती अपने किसी समर्थक का नाम दे सकते हैं। वर्मा की तबीयत में सुधार होते ही यहां भी दावेदारों ने धोक लगाना शुरू कर दी है।

विधानसभा सांवेर
यहां फिलहाल तो संगठन में कोई बड़ा नेता नहीं है, इसलिए चलना मंत्री तुलसी सिलावट की ही है। सावन और राजेश सोनकर को तो पार्टी ने यहां हस्तक्षेप करने लायक नहीं छोड़ा है। इसलिए भी माना जा रहा है कि यहां नगर के 1 और ग्रामीण के सभी 4 मंडलों पर सिलावट समर्थकों का कब्जा होने वाला है।

विधानसभा देपालपुर
विधायक मनोज पटेल के सामने मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति में जिलाध्यक्ष चिंटू वर्मा जरूर आड़े आ सकते हैं। वे यहां के स्थानीय निवासी भी हैं और इस सीट पर पिछले चुनाव में भी दावा कर चुके थे। आज नहीं तो कल का इंतजार कर रहे चिंटू जिलाध्यक्ष का पावर यहां दिखा सकते हैं और 5 में से 1-2 मंडल अपने खाते में ले सकते हैं।

विधानसभा महू
महू विधानसभा के 5 मंडलों में फिलहाल उषा ठाकुर समर्थक ही काबिज हैं। इस बार यहां कुछ उठापटक होने की संभावना है। वैसे ठाकुर के यहां दावेदारों ने आमद देना शुरू कर दी है और उन्हें अपनी भावना से भी अवगत करा दिया है।

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