नई दिल्ली (New Delhi) । चेन्नई (Chennai) स्थित दवा कंपनी (pharmaceutical company) ने अपने आई ड्रॉप (eye drop) के उत्पादन को फिलहाल रोक (ban) दिया है. इस आई ड्रॉप के इस्तेमाल से कथित तौर पर अमेरिका (America) में कई लोगों के आंखों की रोशनी जाने और कुछ की मौत की बात भी सामने आई है. अमेरिका की तरफ से किए जा रहे इस तरह के कथित दावों के बाद पहले कंपनी ने इस दवाई की खेप को वापस लेने का फैसला किया था, लेकिन अब खबर आ रही है कि कंपनी इस दवाई के प्रोडक्शन को भी रुकवा दिया है.
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) चेन्नई स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर द्वारा निर्मित एज़रीकेयर आर्टिफिशियल टीयर्स आई ड्रॉप्स की बंद बोतलों का परीक्षण कर रहा है. वहीं, यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने कहा कि वह इस कंपनी के उत्पादों को आयात करने से फिलहाल रोकने जा रहा है.
अमेरिका की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के अनुसार एफडीए उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सकों को संभावित बैकटेरिया कंटामिनेशन के कारण एज़रीकेयर आर्टिफिशियल टियर और डेलसम फार्मा की आर्टिफिशियल टियर को खरीदने से मना कर रहा है. इन दवाओं की इस्तेमाल की वजह से आंखों में संक्रमण के साथ-साथ अंधापन औऱ यहां तक की मौत भी हो सकती है.
मिल रही जानकारी के अनुसार अमेरिका के डॉक्टरों को सूडोमोनास ऑरूजिनोसा नाम के बैक्टीरिया के प्रति सतर्क कर दिया गया है, जिससे एक दर्जन राज्यों में कम से कम 55 लोग प्रभावित हुए हैं और कम से कम एक मौत हुई है. सीडीसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि अब तक, 11 में से कम से कम पांच मरीज जिनकी आंखों में सीधे संक्रमण हुआ है, उनकी दृष्टि चली गई है. इनसाइडर डॉट कॉम ने बताया कि सूडोमोनास ऑरूजिनोसा रक्त, फेफड़ों या घावों में संक्रमण पैदा कर सकता है और एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण रोगाणु हाल के दिनों में इलाज के लिए कठिन साबित हो रहे हैं.
सीडीसी के अनुसार, बैक्टीरिया आमतौर पर अस्पताल गए लोगों या स्वास्थ्य कर्मियों में फैलता है, जब वे दूषित पानी या मिट्टी के संपर्क में आते हैं, जहां यह आमतौर पर रहता है.
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