नई दिल्ली । भारत (India) ने दोहराया कि उसके पास युद्धग्रस्त यूक्रेन (Ukraine) में किसी भी भारतीय (Indian) को बंधक बनाए जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उसने यह भी कहा कि युद्ध के कारण प्रभावित खारकीव, सुमी सहित अन्य इलाकों में फंसे भारतीयों को निकालने के प्रयास जारी हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Foreign Ministry spokesperson Arindam Bagchi) ने कहा कि हमने किसी भारतीय को वहां (यूक्रेन में) बंधक बनाए जाने के बारे में नहीं सुना है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा स्थिति के कारण कुछ इलाकों से निकलने में कठिनाई पेश आ रही है, खास तौर पर खारकीव और सुमी क्षेत्र से . प्रवक्ता ने कहा, हालांकि, मैंने किसी को बंधक बनाए जाने के बारे में नहीं सुना है.
युद्धग्रस्त क्षेत्र में कुछ देशों के नागरिकों को रोके जाने एवं बंधक बनाए जाने संबंधी रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बयान के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा कि आपको हमेशा उस व्यक्ति से सवाल पूछना चाहिए जिसने बयान दिया है .
गौरतलब है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक दिन पहले अपने सुरक्षा परिषद के सदस्यों के साथ वीडियो कॉल में आरोप लगाया था कि यूक्रेन के राष्ट्रवादी समूह नागरिकों को निकलने से रोक रहे हैं. पुतिन ने दावा किया था कि ये समूह नागरिकों को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, रूसी सेना को उकसाने के लिए गोलीबारी कर रहे हैं.
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि लगभग 300 भारतीय खारकीव में और 700 सुमी में हैं. उन्होंने कहा कि संघर्ष वाला इलाका है, हालांकि हम सभी भारतीयों को लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. कुछ इलाकों से भारतीयों को निकालने में कठिनाई पेश आने से संबंधित एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, हम दोनों पक्षों से रास्ता तलाशने का अनुरोध कर रहे हैं ताकि हम संघर्ष वाले क्षेत्रों से अपने नागरिकों को बाहर निकाल सकें. स्थानीय संघर्षविराम से इसमें मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि इन इलाकों में गोलाबारी चल रही है, हम नहीं चाहते है कि हमारे छात्र ऐसी जगह से गुजरें जिससे उनको कुछ नुकसान होने की आशंका हो. बागची ने कहा कि ऐसे में हमारी दोनों पक्षों से गुजारिश होगी कि संघर्ष विराम, स्थानीय स्तर का संघर्ष विराम हो ताकि हम अपने लोगों को निकाल सकें. रूस द्वारा भारतीयों को निकालने के लिये बसों की व्यवस्था करने से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में प्रवक्ता ने कहा कि जिन बसों की बात हो रही है, वे काफी दूर हैं और जिस स्थान पर छात्र हैं. वहां से 50-60 किलोमीटर दूर हैं.
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