इंदौर। सरकार द्वारा कम वक्त के रिटर्न, जो कि नोटिफाइड होंगे और कंपोजिशन डीलर ने यदि 3 माह तक रिटर्न फाइल नही किए तो उसका पंजीयन निरस्त कर दिया जाएगा। अभी तक ये नियम 6 माह का था। इससे व्यापारियों पर नई मुसीबत आ गई है।
ये बात कल टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंदौर चैप्टर द्वारा बजट पर आयोजित वेबिनार में सीए सुनील खंडेलवाल ने बताई। उन्होंने बताया कि अभी तक किसी करदाता द्वारा 6 माह तक के रिटर्न फाइल नहीं किए जाने पर पंजीयन को निरस्त करने का नियम था, जो बदल दिया गया है। सरकार ने 1 जुलाई 2017 को करों को राष्ट्रीय स्तर पर एकसूत्र में बांधने के लिए जीएसटी लागू किया था और तब वादा किया था कि किसी भी व्यवहार से संबंधित क्रेडिट, बिना किसी बाधा के प्राप्त होगी, लेकिन करीब पांच साल में सरकार ने इनपुट टैक्स क्रेडिट के गलत उपयोग को रोकने के लिए इतने सारे प्रयोग किए कि जीएसटी की निर्बाध क्रेडिट की मूल भावना ही खत्म हो गई है।
अब किसी सप्लायर द्वारा बेचे गए माल या सर्विस के संबंध में कोई गलती होती है या समय पर जीएसटी रिटर्न नहीं भरे जाते हैं या जीएसटी का भुगतान नहीं किया जाता है तो उसका खामियाजा क्रेता को ही भुगतना पड़ेगा। वेबिनार में बताया गया कि अभी किसी सप्लायर द्वारा बेचे गए माल या सर्विस की जानकारी 2बी फॉर्म में उपलब्ध होने पर क्रेडिट लिया जा सकता था, पर अब उस सप्लायर द्वारा कर का भुगतान नहीं करने पर, भरे गए रिटर्न में अंतर होने या पोर्टल में उपलब्ध क्रेडिट से अधिक क्रेडिट लेने की दशा में क्रेता को 2बी में क्रेडिट दिखने के बावजूद उसकी क्रेडिट नहीं मिलेगी। पंजीकृत व्यापारी किसी माह का जीएसटी-1 रिटर्न, पिछले माह का जीएसटी-1 एवं जीएसटी-3 बी रिटर्न फाइल करने के बाद ही भर पाएगा, साथ ही वह किसी माह का जीएसटी रिटर्न-3बी उसी माह का जीएसटी-1 फाइल करने के बाद ही भर पाएगा। बजट पारित होने एवं नोटिफिकेशन जारी होने पर यह बदले हुए नियम लागू हो जाएंगे। वेबिनार में अनेक प्रमुख सीए और व्यापारी भी जुड़े। कार्यक्रम का संचालन सेंट्रल जीएसटी सचिव सीए कृष्ण गर्ग ने किया।
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