नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रिडमैन के साथ किए पॉडकास्ट में कई मुद्दों पर खुलकर बात की है. डोनाल्ड ट्रंप, शी जिनपिंग से लेकर अन्य ग्लोबल मसलों पर खुलकर अपनी बात कही है. पीएम मोदी ने साल 2002 के गोधरा कांड पर भी बहुत ही बेबाकी से अपनी बात रखी. पीएम मोदी ने इस कांड को भयंकर करार दिया. उन्होंने कहा कि इस घटना में लोगों को जिंदा जला दिया गया था. इस घटना के बाद गुजरात में हिंसा भड़क गई. पीएम मोदी ने इस मामले में विपक्षी दलों के प्रोपेगेंडा की भी एक झटके में ही पोल खोल दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस मामले में कोर्ट ने बेहतरीन काम किया. बता दें कि 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के स्लीपर कोच में गोधरा रेलवे स्टेशन पर आग लगा दी गई थी. इस घटना में 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जब गुजरात दंगे को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इस घटना से 12-15 महीने पहले हुए घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए इसके बारे में पूरी जानकारी दी. पीएम मोदी ने कहा, ‘आपने जिन पिछली घटनाओं का उल्लेख किया है, जैसे कि गुजरात में 2002 के दंगे, मैं आपको उससे पहले के 12 से 15 महीनों की एक स्पष्ट तस्वीर दिखाना चाहता हूं, ताकि आप उस समय के माहौल को पूरी तरह से समझ सकें. उदाहरण के लिए 24 दिसंबर 1999 को लें. लगभग तीन साल पहले काठमांडू से दिल्ली जाने वाले एक भारतीय विमान का अपहरण किया गया. हाइजैक्ड प्लेन को अफ़गानिस्तान की ओर मोड़ दिया गया और कंधार में उतारा गया. सैकड़ों भारतीय यात्रियों को बंधक बना लिया गया था. इससे पूरे भारत में तूफान सा आ गया था, क्योंकि लोगों को जीवन और मृत्यु की अनिश्चितता का सामना करना पड़ा.’
पीएम मोदी ने आगे कहा कि 2000 में दिल्ली के लाल किले पर आतंकवादियों ने हमला किया. इसके बाद 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के ट्विन टावर्स पर टेररिस्ट अटैक हुआ. अक्टूबर 2001 में आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर विधानसभा पर हमला किया. इसके तुरंत बाद 13 दिसंबर 2001 को भारत की संसद को निशाना बनाया गया. इन हमलों के पीछे के लोग एक जैसी मानसिकता थी. पीएम मोदी ने कहा कि 8 से 10 महीने के अंतराल में ये सब घटनाएं हुईं. उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में 7 अक्टूबर 2001 को मुझे गुजरात के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई. मेरे लिए यह बड़ी चुनौती थी.
गोधरा कांड और उसके बाद हुई हिंसा पर पीएम मोदी ने विस्तार से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, ’24 फरवरी 2002 को मैं पहली बार राज्य प्रतिनिधि एक निर्वाचित प्रतिनिधि (विधायक) बना. यह 24, 25 या 26 फरवरी के आसपास ही था कि मैंने पहली बार गुजरात विधानसभा में कदम रखा. 27 फरवरी 2002 को हम बजट सत्र के लिए विधानसभा में बैठे थे और उसी दिन मुझे राज्य प्रतिनिधि बने हुए सिर्फ़ तीन दिन ही हुए थे, जब अचानक भयानक गोधरा कांड हुआ. यह भयंकर घटना थी, लोगों को ज़िंदा जला दिया गया था. आप कल्पना कर सकते हैं कि कंधार अपहरण, संसद पर हमला या यहां तक कि 9/11 जैसी घटनाओं के बाद इतने सारे लोगों को मार डाला जाना और ज़िंदा जला दिया जाना. आप कल्पना कर सकते हैं कि स्थिति कितनी तनावपूर्ण और अस्थिर थी. बेशक यह सभी के लिए दुखद था. हर कोई शांति पसंद करता है.’
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