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NSE Scam: गुमनाम ‘योगी’ के इशारे पर खेल, 15 लाख से सैलरी हुई 4.21 करोड़; अब पड़ा IT का छापा

February 17, 2022


नई द‍िल्‍ली: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व सीईओ और एमडी चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramakrishna) अब मुश्‍क‍िल में फंसती द‍िखाई दे रही हैं. 11 फरवरी को लगे 3 करोड़ रुपये के जुर्माने के बाद अब उनके मुंबई आवास पर इनकम टैक्स की रेड (Income Tax Raid) हुई है. रामकृष्ण पर NSE की गोपनीय जानकारी ह‍िमालय में रहने वाले योगी के साथ साझा करने का आरोप है.

कई व्यावसायिक मामलों पर मार्गदर्शन मांगा
रामकृष्ण ने यह भी स्‍वीकार क‍िया है क‍ि पिछले 20 वर्षों से, उन्होंने कई व्यक्तिगत और व्यावसायिक मामलों पर अज्ञात योगी से मार्गदर्शन मांगा है. इतना ही नहीं उन्‍होंने वरिष्ठ अधिकारी आनंद सुब्रमण्यन की न‍ियुक्‍त‍ि भी इन्‍हीं आध्‍यात्‍म‍िक गुरु के इशारे पर की थी. NSE में कर‍ियर शुरू करने से पहले आनंद सुब्रमण्यम एक आम इंसान थे.

14 लाख से ऐसे पहुंचे 4 करोड़ के पार
आनंद सुब्रमण्यम Balmer Lawrie और ICICI group के एक ज्वाइंट वेंचर में काम करते थे. वहां उन(का सालाना पैकेज 14 लाख रुपये से कुछ ज्यादा था. अप्रैल, 2013 में उन्हें NSE में MD और CEO के चीफ स्ट्रेटेजिक एडवाइजर (CSA) के तौर पर एंट्री दी गई. उस समय उन्‍हें 1.38 करोड़ रुपये का सालाना पैकेज ऑफर क‍िया गया. दो से तीन साल के अंदर ही सुब्रमण्यम का पैकेज 2016 तक बढ़कर 4.21 करोड़ रुपये कर द‍िया गया.


2013 से 2016 तक रहीं एमडी और सीईओ
अधिकारियों ने बताया क‍ि छापे का मकसद रामकृष्ण तथा अन्य के खिलाफ लगे कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच करना है. सेबी ने अपने आदेश में कहा था कि रामकृष्ण ने योगी के साथ विभागीय खुफिया जानकारियां साझा की थीं, जिनमें एनएसई की आर्थिक और कारोबारी योजनाएं शामिल हैं. वह अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 के बीच एनएसई की एमडी और सीईओ थीं.

कौन हैं आनंद सुब्रमण्यम?
चित्रा रामकृष्ण के फैसले की चर्चा चारों तरफ है. आनंद सुब्रमण्यम को NSE में बहुत बड़ी सैलरी हाइक के साथ नियुक्त तो किया ही गया, साथ ही उन्हें मनमाने तरीके से प्रमोट भी किया गया. योगी के कहने पर उन्हें NSE में नंबर 2 बना दिया गया था.

एक्सपीरिएंस नहीं फ‍िर भी म‍िला प्रमोशन
सुब्रमण्यम को कैपिटल मार्केट का कोई अनुभव नहीं था. इसके बावजूद भी उन्हें सैलरी हाइक और प्रमोशन मिलता रहा. उनका पैकेज दो साल के भीतर 2016 तक बढ़कर 4.21 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इतना ही नहीं उन्हें ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (GOO) की जिम्मेदारी भी दे दी गई थी.

सुब्रमण्यम को मिली थी कई सहूलियत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुब्रमण्यम को इस दौरान कई सहूलियत मिली हुई थी. इनमें से ही एक थी मुंबई के साथ-साथ चेन्नई से भी काम करने की सहूलियत. पूरा सेटअप बिठाने के लिए खास इंतजाम किए गए थे. आनंद के GOO बनने के बाद भी उन्हें यह सुविधा मिलती रही.

अक्टूबर 2016 में द‍िया इस्तीफा
NSE की ऑडिट कमेटी की जांच के बाद सामने आया कि सुब्रमण्यम की नियुक्ति गलत तरीके से हुई थी. जांच रिपोर्ट के रिव्यू के बाद फैसला लिया गया कि सुब्रमण्यम को अपने पद से इस्तीफा देना होगा. अगले एक घंटे में ही सुब्रमण्यम ने इस्तीफा दे दिया था.

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