अयोध्या: अयोध्या में श्रीराम मंदिर (Shri Ram Mandir) बनने और भगवान के विराजमान के बाद ही यह मंदिर सुर्खियों में है. इसकी वजह रामभक्तों की भीड़ (crowd of Ram devotees) से लेकर भगवान पर लुटाया जाने वाला भक्तों का प्यार है. यहां रामभक्तों ने अपनी श्रद्धा अनुसार भगवान को अलग अलग चीजें दान की हैं. अब अयोध्या श्रीराम मंदिर में स्वर्ण मंडित (Gold plated copy of Ramcharitmanas) रामचरितमानस की प्रति स्थापित () की गई है. इसे मध्य प्रदेश के पूर्व आईएएस (IAS) और उनकी पत्नी ने भगवान को अर्पित किया है. सोने की परत चढ़ी इस रामचरितमानस को नवरात्र में श्रीराम के गर्भगृह में स्थापित किया गया है.
दरअसल मध्यप्रदेश के पूर्व आईएएस लक्ष्मी नारायण (Former IAS Lakshmi Narayan) और उनकी पत्नी की भगवान श्रीराम में गहरी आस्था है. उन्होंने भगवान श्रीराम के अयोध्या गर्भगृह में विराजमान के समय ही भगवान को जीवनभर की कमाई समर्पित करने का संकल्प लिया था. इसके लिए उन्होंने रामचरितमानस के एक एक पेज पर सोने की परत चढ़वाकर अयोध्या श्रीराम मंदिर में भेट की. इसे बनवाने के लिए आईएएस ने अपनी जीवन भर की कमाई लगा दी, जिसके बाद 10902 छंदों वाली रामायण के 500 पेजों पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ाई गई. इस रामायण को तैयार करने में करीब 4 किलो सोना और 140 किलो तांबे का इस्तेमाल किया गया है.
आईएएस द्वारा भगवान श्रीराम को समर्पित की गई रामचरितमानस में सोने की परत चढ़ाने में करीब 5 करोड़ रुपये की लागत आई है. वहीं रामचरितमानस का वजन 151 किलो है. यह तैयार होने के बाद आईएएस लक्ष्मीनारायण ने श्रीराम मंदिर ट्रस्ट से संपर्क किया. उन्होंने भगवान श्रीराम के प्रति अपनी आस्था दिखाते हुए श्रीरामचरितमानस भेट करने की इच्छा जताई. इससे मंदिर ट्रस्ट ने स्वीकृत कर गर्भगृह में रखा है. अब अयोध्या श्रीराम में जाने वाले भक्त रामलला के साथ ही गर्भगृह में रखी सोने चढ़ी श्रीरामचरितमानस को भी देख सकेंगे.
आईएएस द्वारा श्रीरामचरितमानस का निर्माण चेन्नई के वुममिडी बंगारू ज्वेलर्स से कराया गया है. इन्होंने ही भारत के नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल को डिजाइन बनाकर इसे तैयार किया था. ठीक इसी तरह रामचरितमानस को सोने से जड़ा गया है. रामचरितमानस को गर्भगृह में रामलला की मूर्ति से सिर्फ 15 फीट की दूरी पर एक पत्थर के आसन पर रखा गया है. चैत्र नवरात्रि से भी सभी श्रद्धालु इसके दर्शन कर सकेंगे.
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