नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस द्वारा फर्जी मतदाताओं का मुद्दा उठाने के बाद अब चुनाव आयोग ने भी कुछ कदम उठाए हैं। इसके तहत चुनाव आयोग ने अपने सॉफ्टवेयर में कुछ बदलाव करने का फैसला किया है ताकि फर्जी मतदाताओं को पकड़ा जा सके। चुनाव आयोग अपने सॉफ्टवेयर में नया विकल्प शामिल करने जा रहा है, जिससे इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स किसी EPIC नंबर से जुड़े कई नामों का पता लगा सकेंगे। जिससे फर्जी मतदाताओं को पकड़ना आसान हो जाएगा।
एक निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इस फैसले की जानकारी दे दी गई है। सोमवार को इसे लेकर सभी निर्वाचन अधिकारियों को पत्र भेज दिया गया है। पश्चिम बंगाल के कार्यकारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी दिब्येंदु दास ने सोमवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक कर फैसले की पूरी जानकारी दी। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची में सुधार की प्रक्रिया 21 मार्च तक पूरी हो जाएगी।
हाल ही में टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से चुनाव आयोग की स्वतंत्र भूमिका प्रभावित हुई है। उन्होंने पार्टी की आगामी 2026 विधानसभा चुनावों की रणनीति और राज्य में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं का पता लगाने के प्रयासों पर चर्चा के लिए आयोजित एक वर्चुअल बैठक में यह बात कही। इस बैठक में टीएमसी की राज्य समिति के नेता, सांसद, विधायक और स्थानीय प्रतिनिधि मौजूद थे।
कोलकाता में टीएमसी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा, ‘मेरे पास सबूत हैं कि बंगाल में मौजूद एक एजेंसी बंगाल के मतदाताओं के नाम हरियाणा, गुजरात और अन्य राज्यों के लोगों के साथ बदल रही है, जबकि वोटर आईडी कार्ड नंबर वही हैं।’ ममता ने दावा किया कि, यह सीधे दिल्ली से किया जा रहा है। ऐसा करके, उन्होंने महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में जीत हासिल की।
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