इंदौर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार ने राज्य (Sate) के बड़े जिलों की सीमाएं (boundaries of districts) तय करने का फैसला किया है. इस कवायद के तहत एक आयोग (Commission) का भी गठन किया गया है, जिसकी जिम्मेदारी एक पूर्व आईएएस अधिकारी को दी गई है. जनता से इसके लिए सुझाव भी मांगे गए हैं. सीएम मोहन यादव (Mohan Yadav) का कहना है कि जिले के आकार बड़े होने के कारण लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचने में ज्यादा समय लगता है और उनकी बेहतरी के लिए ही जिले की विसंगतियों को दूर किया जाएगा.
सीएम मोहन यादव ने कहा, ”हमने जब सरकार बनाई, सरकार बनाते ही इस बात पर ध्यान दिया कि भौगोलिक दृष्टि से मध्य प्रदेश भारत का दूसरा बड़ा राज्य है. लेकिन, इसमें कुछ कठिनाई है जो समय के साथ हुई है. जिले तो बढ़ गए हैं, लेकिन जिलों की अपनी-अपनी सीमाएं कम और ज्यादा हैं. कई विसंगतियां हैं. कई लोगों को जिला मुख्यालय के लिए दूर जाना पड़ता है, जबकि दूसरा जिला पास में है. कई संभाग बढ़े और छोटे हैं. ऐसी विसंगतिपूर्ण व्यवस्था के लिए हमने नया परिसीमन आयोग बनाया है.”
मोहन यादव ने कहा, ”इस परिसीमान आयोग के माध्यम से नजदीक के स्थान को नजदीक के जिले से जोड़कर जनता की बेहतरी के लिए जो अच्छा हो सकता है वह करना है. संभाग और जिले का पुनर्परीक्षण करना है. आयोग के सदस्य एससीएस स्तर के होंगे. इसकी जिम्मेदारी मनोज श्रीवास्तव को दी है.”
मध्य प्रदेश के सीएम ने कहा कि ऐसे कई बड़े जिले जैसे कि सागर, उज्जैन, इंदौर और धार इनके अंदर की कठिनाइयां हैं. जैसे रिफाइनरी बन गई. तो बड़ा स्थान हो गया है. पहले जैसे हमने पुलिस थाने की सीामाएं बढ़ाई थीं और पुलिस थानों को जनता की बेहतरी के लिए नजदीक लाने का प्रयास किया है. वैसे ही राजकीय प्रशासनिक व्यवस्था की दृष्टि से यह निर्णय कारगर साबित होगा.
सीएम यादव ने कहा कि अगर जनता को लगता है कि इस जगह को जोड़ना और इस जगह को छोड़ना है तो वे सारे सुझाव मनोज श्रीवास्त तक पहुंचाएं. प्रदेश की बेहतरी के लिए जो होगा पीएम मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार करेगी और परिणाम प्रदेश की जनता की भलाई के लिए आएंगे.
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