डेस्क: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) कोर्ट ने बैंक धोखाधड़ी मामले में के. शिवा रामा कृष्णा और एन. मोहन रेड्डी को दोषी करार देते हुए तीन साल की कठोर कैद (Rigorous Imprisonment) और कुल 30,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. ये फैसला हैदराबाद की XXI एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने सुनाया.
सीबीआई ने यह मामला 1 अगस्त 2013 को आईडीबीआई बैंक लिमिटेड स्पेशलाइज्ड कॉरपोरेट ब्रांच, हैदराबाद की शिकायत पर दर्ज किया था. आरोप था कि एम/एस शिवा कंस्ट्रक्शन्स फर्म जिसके उस समय मालिक के. शिवा रामा कृष्णा थे उन्होंने बैंक के एक पैनल वैल्यूअर और चार्टर्ड अकाउंटेंट के साथ मिलकर अवैध तरीकों से लोन लेने की साजिश रची.
आरोपियों ने बैंक को गुमराह करने के लिए फर्जी संपत्ति मूल्यांकन रिपोर्ट और गलत नेटवर्थ सर्टिफिकेट जमा किए. इसके जरिए उन्होंने बैंक से करोड़ों रुपये की लोन सुविधा हासिल की और बैंक को करीब 10.19 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया. सीबीआई ने मामले की जांच के बाद 5 जून 2014 को चार्जशीट दाखिल की थी. कोर्ट में सुनवाई के बाद दो आरोपियों को दोषी पाया गया और उन्हें तीन साल की सजा सुनाई गई.
भारत में बैंक धोखाधड़ी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. कई कारोबारी और बैंक अधिकारी मिलकर फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों रुपये का कर्ज लेते हैं और फिर उसे चुकाने से बचते हैं. सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियां लगातार ऐसे मामलों की जांच कर रही हैं और दोषियों को सजा दिलाने का प्रयास कर रही हैं.
सीबीआई ने इस फैसले को एक अहम उपलब्धि बताया और कहा कि इस तरह के मामलों में दोषियों को सजा दिलाना जरूरी है ताकि बैंकिंग सिस्टम को सुरक्षित बनाया जा सके. यह मामला उन लोगों के लिए चेतावनी है जो फर्जी दस्तावेजों और गलत तरीके से बैंक से कर्ज लेने की साजिश रचते हैं. सीबीआई और कोर्ट के सख्त रुख से यह साफ हो गया है कि बैंक धोखाधड़ी में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा.
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