भोपाल। मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सियासी दलों का सबसे ज्यादा फोकस ग्वालियर-चंबल इलाके की 16 सीटों पर है। प्रदेश की 16 विधानसभा सीटें भाजपा और कांग्रेस के भविष्य को तय करेंगी। यही कारण है कि दोनों ही सियासी दलों की नजरें इस इलाके पर लगी हैं। कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ माने जाने वाले ग्वालियर चंबल इलाके को फतह करने के लिए अब ग्वालियर में पार्टी का चुनावी मुख्यालय बनाने का फैसला किया है। ग्वालियर के पार्टी मुख्यालय से इस इलाके की सभी 16 सीटों पर फोकस करना आसान होगा। सभी तरह की चुनावी गतिविधियां इसी मुख्यालय से संचालित होंगी।
मुख्यालय की जिम्मेदारी पार्टी के दिग्गज नेताओं को संभालनी होगी। इसके लिए पार्टी ने कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत, लाखन सिंह यादव, डॉक्टर गोविंद सिंह, अशोक सिंह और फूल सिंह बरैया को जिम्मेदारी सौंपी है। यह सभी नेता ग्वालियर चंबल इलाके में होने वाले जनसंपर्क, प्रचार अभियान समेत प्रचार सामग्री सप्लाई करने की व्यवस्था संभालेंगे। साथ ही किस विधानसभा सीट पर कौन से नेता कब जाएंगे, इसकी रणनीति भी ग्वालियर मुख्यालय में ही बैठकर तय होगी। पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक लाखन सिंह यादव ने कहा है कि चुनाव के चलते ग्वालियर को पार्टी का हेडक्वार्टर बनाया जा रहा है। पीसीसी की बजाए ग्वालियर में पार्टी मुख्यालय से गतिविधियां संचालित होंगी और दिशा निर्देश जारी होंगे। ग्वालियर हेडक्वार्टर से ही प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।
इंदौर में भी एक मुख्यालय खोलने की तैयारी
हालांकि, पूर्व मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने अशोकनगर जिले की विधानसभा सीटों को ग्वालियर हेडक्वार्टर से हटाकर भोपाल या इंदौर से संचालित करने की सलाह पार्टी को दी है। इसके तहत पार्टी इंदौर में भी एक मुख्यालय खोलने की तैयारी में है। वहीं, कांग्रेस पार्टी के ग्वालियर को मुख्यालय बनाए जाने पर बीजेपी ने निशाना साधा है। इधर, प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि ग्वालियर में कांग्रेस नेताओं का स्वागत है। लेकिन कांग्रेस चाहे दफ्तर खोले या मुख्यालय बना ले, उपचुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा।
सोशल मीडिया पर भी समर्थन तो करें कार्रवाई
प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने जिलाध्यक्षों से कहा- वे सोशल मीडिया पर भी नजर रखें। कोई कार्यकर्ता सिंधिया, भाजपा या उसके प्रत्याशी के समर्थन में या उनकी तारीफ करे, बधाई दे तो उसका स्क्रीनशॉट लेकर ऐसे कार्यकर्ता को भी पार्टी से निकाल दे।
जो कार्यकर्ता सिंधिया के साथ उसे पार्टी से निकाल दें
उपचुनाव जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस में लगातार रणनीति बन रही है। इसी के तहत कांग्रेस ने पार्टी में विभीषणों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालने का निर्देश जिलाध्यक्षों को दिया है। कमलनाथ से मिले निर्देश के बाद ग्वालियर-चंबल अंचल के जिलाध्यक्ष संकट में फंस गए हैं। क्योंकि पार्टी में कई ऐसे नेता हैं जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी रहे हैं। अगर एक पर कार्रवाही होती है तो उसके साथ कई बाहर हो जाएंगे। प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें 22 विधानसभा सीटें ऐसी है, जहां के विधायकों ने सिंधिया के समर्थन में पद से इस्तीफा दिया। ऐसे में कांग्रेस को लग रहा है कि इन क्षेत्रों में अब भी कई सिंधिया समर्थक कांग्रेस में ही हैं। कहीं ऐसा न हो, ऐन चुनाव के वक्त यह कार्यकर्ता कांग्रेस छोड़कर सिंधिया या भाजपा के साथ चले जाएं। ऐसे में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने संबंधित जिलाध्यक्षों से कहा कि जिन पार्टी नेताओं पर सिंधिया के या भाजपा में शामिल हो चुके पूर्व विधायकों के संपर्क में होने का शक हो, उनसे सिंधिया या फिर जिस भाजपा नेता के संपर्क में कार्यकर्ता हो, उसके खिलाफ मीडिया में बयान जारी कराओ। जो कार्यकर्ता बयान जारी न करें या फिर बयान पर हस्ताक्षर करने में आनाकानी करे, उसे जिला कांग्रेस कमेटी ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दे।
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