नई दिल्ली । चीन और ताइवान (China and Taiwan) के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार चीन ने ऐसा दांव चला है जिसने ताइवान के राष्ट्रपति विलियम लाई चिंग-ते (President William Lai Ching-te) की चिंता बढ़ा दी है. न तो यह सैन्य हमला है, न ही कोई परमाणु धमकी, बल्कि यह एक अलग तरह की जंग है.
दरअसल चीन अब ताइवान को भीतर से कमजोर करने के लिए जासूसी, घुसपैठ और साइबर हमलों का सहारा ले रहा है. राष्ट्रपति लाई ने इसे ताइवान की संप्रभुता और लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है और कड़ा रुख अपनाने का ऐलान किया है.
चीनी रणनीति, हथियारों से नहीं, दिमाग से हमला
राष्ट्रपति लाई ने गुरुवार को सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मीडिया को बताया कि चीन ताइवान की पुलिस, मीडिया हस्तियों और संगठित अपराध गिरोहों तक पहुंच बना रहा है. उनका कहना है कि चीन का मकसद ताइवान में फूट डालना, उसे भीतर से तोड़ना और अस्थिर करना है.
लाई ने इसे “ग्रे ज़ोन युद्ध” बताया, यानी ऐसा साइकोलॉजिकल वॉरफेयर (मनोवैज्ञानिक युद्ध) जो खुली जंग से पहले लोगों को भ्रमित और कमजोर कर देता है.
जासूसी में उछाल, बढ़ेगी सख्ती
राष्ट्रपति लाई ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए. उन्होंने कहा कि पिछले साल 64 लोग चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में पकड़े गए, जो 2021 की तुलना में तीन गुना ज्यादा है. इनमें ज्यादातर लोग सेना से जुड़े हुए थे.
इस खतरे को देखते हुए सरकार ने 17 कड़े कदम उठाने का फैसला किया है. इनमें चीन के नागरिकों की ताइवान यात्रा और निवास के लिए सख्त जांच, सैन्य अदालतों को फिर से सक्रिय करना और वित्तीय लेन-देन पर सख्त नियंत्रण शामिल है.
सेना के पूर्व अधिकारियों पर भी शक
ताइवान में हाल ही में एक और घटना ने हलचल मचा दी. एक ताइवानी नागरिक की चीनी पत्नी ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर कहा कि चीन आधे घंटे में ताइवान पर कब्जा कर सकता है. यह ताइवान के कानूनों के तहत देशद्रोह की श्रेणी में आता है. नतीजतन, उसे ताइवान से निष्कासित कर दिया गया और अब वह पांच साल तक दोबारा यहां नहीं आ सकती.
इतना ही नहीं, चीन में रहने वाले ताइवानी कलाकार और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी चीनी सरकार के दबाव में ताइवान विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं. इस पर लाई सरकार ने साफ कहा कि ऐसे लोगों को चेतावनी दी जाएगी कि वे अपने शब्दों और हरकतों को लेकर सतर्क रहें. राष्ट्रपति लाई ने खुलासा किया कि रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ताइवान के हथियारों और सुरक्षा प्रणाली की जानकारी चीन को दे रहे हैं. यही नहीं, वे मौजूदा सैन्यकर्मियों को भी चीन के लिए जासूसी करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
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