नई दिल्ली। चीन(China) ने अपने भूमि सीमाई क्षेत्र के संरक्षण(protection of land border area) और शोषण को लेकर एक नया कानून(New Law) अपनाया है, जिसका मकसद सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और अन्य विकास कार्यों को प्रोत्साहित करते हुए देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा (protect territorial integrity) पर जोर देना है. समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस National People’s Congress (NPC) की स्थायी समिति के सदस्यों ने शनिवार को इस कानून को मंजूरी(approve the law) दी, जो कि 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होगी. इसका असर असर भारत (India) के साथ बीजिंग के सीमा विवाद(border dispute) पर पड़ सकता है.
शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार चीन का यह कानून कहता है कि “चीन के जनवादी गणराज्य की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पवित्र और अहिंसक है.” यह कानून आगे कहता है कि राज्य ना सिर्फ क्षेत्रीय अखंडता और भूमि की सीमाओं की रक्षा के लिए उपाय करेगा, बल्कि क्षेत्रीय संप्रभुता और भूमि की सीमाओं को कमजोर करने वाले किसी भी तत्व से अपनी रक्षा करेगा और उसका मुकाबला करेगा.
पड़ोसी देशों के साथ जमीनी सीमा संबंधी मुद्दों से वार्ता के जरिए निबटेगा
कानून के अनुसार देश समानता, परस्पर विश्वास और मित्रतापूर्ण वार्तालाप के सिद्धांतों का पालन करते हुए पड़ोसी देशों के साथ जमीनी सीमा संबंधी मुद्दों से निबटेगा और काफी समय से लंबित सीमा संबंधी मुद्दों और विवादों को उचित समाधान के लिए वार्ता का सहारा लेगा. इसमें कहा गया है कि चीनी सेना अभ्यास करके और हमलों, अतिक्रमण, उकसावे एवं अन्य गतिविधियों को दृढ़ता से रोकने के लिए सीमा पर अपना कर्तव्य निभाएगी.
पिछले कुछ सालों में चीन ने सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है
चीन ने पिछले कुछ सालों में अपने सीमा संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है. उसने हवाई, रेल और सड़क नेटवर्क का विस्तार किया है. उसने तिब्बत में बुलेट ट्रेन की शुरुआत भी की है जिसके मार्ग का निर्माण अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती कस्बे नींगची तक किया गया है. नये कानून में सीमाओं पर व्यापार क्षेत्रों की स्थापना तथा सीमा आर्थिक सहयोग क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव है.
भारत और भूटान से चीन का सीमाई विवाद जारी
बीजिंग ने अपने 12 पड़ोसियों के साथ तो सीमा संबंधी विवाद सुलझा लिए हैं, लेकिन भारत और भूटान के साथ उसने अब तक सीमा संबंधी समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 3,488 किलोमीटर के क्षेत्र में है, जबकि भूटान के साथ चीन का विवाद 400 किलोमीटर की सीमा पर है.
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