नई दिल्ली। सर्दियों (winter) के मौसम में अवसाद (Depression), तनाव बढ़ने (Increased Stress) और मूड बदलने (Mood Swings) का खतरा बढ़ जाता है। मानव व्यवहार एवं संबद्ध संस्थान (इहबास) के मनोचिकित्सक डॉ. ओम प्रकाश (Psychiatrist Dr. Om Prakash) का कहना है कि मौसम बदलने का असर लोगों के मूड पर पड़ता है। ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़नी शुरू हो गई है। इनमें ऐसे पीड़ित भी शामिल हैं, जो पहले ठीक हो गए थे, लेकिन अब फिर उनमें लक्षण उभरने लगे हैं।
एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. नंद कुमार के मुताबिक, कुछ साल पहले हुए एक अध्ययन में दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के दौरान 21 फीसदी बुजुर्गों में अकेलेपन और अवसाद होने की बात सामने आई थी।
उन्होंने बताया कि सर्दियों में धूप कम मिलने से बॉडी की बायोलॉजिकल क्लॉक प्रभावित होती है और व्यक्ति डिप्रेशन के लक्षण महसूस करने लगता है। इससे शरीर में खुशी पैदा करने वाले हार्मोन सिरेटोनिन का स्तर भी कम हो जाता है। इसका असर व्यक्ति के मूड पर पड़ता है। विटामिन डी की कमी से शरीर में सिरेटोनिन का स्तर गिरता है। इससे व्यक्ति दिन में सुस्ती महसूस करता है। नींद न आने, बेचैनी, चिड़चिड़ेपन बढ़ जाता है। इन दिनों ज्यादातर मामलों में देखा जा रहा है कि सूरज की रोशनी में न बैठने की कमी के कारण रोगी की हालत सुबह में ज्यादा खराब रहती है।
ये हैं लक्षण
मन में हर वक्त उदासी भरी रहती है। शरीर थका-थका सा रहता है। नींद नहीं आती, कमजोरी महसूस होना, हमेशा अकेलापन सा महसूस होना, किसी भी काम में मन का न लगना, मन में बेचैनी, भूख न लगना आदि लक्षण हैं।
हर सप्ताह 180 मिनट धूप में गुजारें
– सर्दियों में एक सप्ताह में कम से कम 180 मिनट समय सूरज की रोशनी में इस तरह गुजारना चाहिए कि उनके पूरे शरीर को धूप मिले
– धूप में दोपहर दो बजे से पहले बैठना चाहिए
– इस मौसम में अवसाद से बचना के लिए प्रति दिन आधा घंटा व्यायाम करना जरूरी
– खाने में केले, पपीता, नाशपाती, अनानास जैसे फल खाने के साथ दूध और अंडे खाना बहुत जरूरी है।
– हंसने के बहाने ढूंढें। ऐसे लोगों का साथ चुनें जो आपको हंसाएं और खुश महसूस कराएं
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