पटना । बमुश्किल हस्ताक्षर करने वाली दुलारी देवी अब मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में हस्ताक्षर बन गई हैं। मिथिला पेंटिंग की प्रख्यात कलाकार दुलारी देवी को पद्मश्री से सम्मनित किया जाएगा। उन्हें यह सूचना गृह मंत्रालय ने फोन पर दी। अपने संघर्ष के बूते अलग पहचान बनाने वाली दुलारी बिहार के मधुबनी जिले के राजनगर प्रखंड के रांटी गांव की रहने वाली हैं। दुलारी अब तक आठ हजार मिथिला पेंटिंग विविध विषयों पर बना चुकी हैं। दुलारी देवी को पहली बार 1999 में ललितकला अकादमी से सम्मानित किया गया था। इसके बाद वर्ष 2012-13 में राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
54 वर्षीय दुलारी देवी के संघर्ष से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उनका जन्म एक अत्यंत निर्धन मल्लाह परिवार में हुआ। 12 साल की उम्र में शादी हो गई। सात साल ससुराल में रहीं। फिर छह माह की बेटी की मौत हो गई। इसके बाद मायके आकर पिता मुसहर मुखिया (अब स्वर्गीय) के साथ रहने लगीं और यहीं से शुरू हुई मिथिला पेंटिंग की यात्रा। काम से खाली होने पर दुलारी मिथिला पेंटिंग सीखने लगीं। लकड़ी की कूची से कल्पनाओं में रंग भरने लगीं और धीरे-धीरे उनकी अलग पहचान बन गई।
2012-13 में राज्य पुरस्कार से हुई थीं सम्मानित
अब तक तकरीबन आठ हजार पेंटिंग्स बना चुकीं दुलारी देवी को वर्ष 2012-13 में राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। गीता वुल्फ की पुस्तक फॉलोइंग माइ पेंट ब्रश और मार्टिन लि कॉज की फ्रेंच में लिखी पुस्तक मिथिला में दुलारी की जीवन गाथा और कलाकृतियों ने स्थान पाया है। सतरंगी नामक किताब में भी इनकी पेंटिंग को जगह मिली है। इग्नू के लिए मैथिली में तैयार किए गए आधार पाठ्यक्रम के मुखपृष्ठ के लिए इनकी पेंटिंग चुनी गई। पटना में बिहार संग्रहालय के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुलारी देवी को विशेष रूप से आमंत्रित किया था। वहां कमला नदी की पूजा पर इनकी बनाई एक पेंटिंग को जगह दी गई है। इसके साथ ही देश के कई संस्थानों की दीवारों पर इनकी पेंटिंग्स हैं।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी थे दुलारी देवी के प्रशंसक
भले ही दुलारी देवी अपने गांव का नाम भी मुश्किल से लिख पाती हैं, लेकिन उनका नाम देश-दुनिया में सम्मान के साथ लिया जाता है। अक्सर पत्र-पत्रिकाओं की सुर्खियां बनने वाली दुलारी देवी के लाखों प्रशंसक हैं। इनमें पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सहित कई बड़ी हस्तियां शामिल हैं।
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