भोपाल। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को अब सुनवाई के बगैर सेवा से नहीं हटाया जा सकेगा। राज्य सरकार ने कार्यकर्ताओं की भर्ती प्रक्रिया में संशोधन कर दिया है। ऐसे किसी भी मामले में अब अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, कलेक्टर और संभागायुक्त के कार्यालय में अपील की जा सकेगी। संबंधित अधिकारियों को 15-15 दिन में अपील का निराकरण करना होगा। 10 जुलाई 2007 को जारी नियमों के तहत कार्यकर्ताओं को अपील का अवसर नहीं दिया जाता था। कार्य में लापरवाही, अनियमितता या भ्रष्टाचार के मामलों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, उप आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को परियोजना अधिकारी हटा देते थे। अब नियमों में परिवर्तन कर दिया गया है। ऐसे किसी भी मामले मेंं अब कार्यकर्ता को नोटिस देकर अपनी सफाई देने के लिए तीन दिन का समय देना होगा। सुनवाई के बाद गुण-दोष के आधार पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के अनुमोदन से परियोजना अधिकारी सेवा समाप्ति का निर्णय लेकर आदेश जारी कर सकेंगे।
सात दिन में कर सकते हैं पहली अपील
आदेश मिलने के सात दिन में कार्यकर्ता कलेक्टर को पहली अपील कर सकेंगे। कलेक्टर को 15 दिन में सुनवाई कर निर्णय सुनाना होगा। कार्यकर्ता कलेक्टर के आदेश के खिलाफ दूसरी अपील संभागायुक्त राजस्व के समक्ष प्रस्तुत करना होगी। आयुक्त को भी 15 दिन में निराकरण करना होगा। कार्यकर्ता को सेवा से हटाने का आदेश देते हुए परियोजना अधिकारी को आदेश में ही साफ लिखना पड़ेगा कि वह कलेक्टर और संभागायुक्त के समक्ष अपील पेश कर सकते हैं।
एमपी बोर्ड में 55 फीसदी अंक आए तो ए ग्रेड
कार्यकर्ताओं की नियुक्ति प्रक्रिया में रोड़ा बन रहे परीक्षा इकाईयों के ग्रेडिंग सिस्टम को देखते हुए सरकार में भर्ती प्रक्रिया में संशोधन किया है। अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पद के लिए एमपी बोर्ड में 55 फीसदी अंक आने ए ग्रेड माना जाएगा। जबकि सहायिकाओं और मिनी कार्यकर्ता के लिए 60 फीसदी अंक जरूरी होंगे। ज्ञात हो कि एमपी बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई में ग्रेडिंग और अंकों की व्यवस्था होने के कारण भर्ती प्रक्रिया में दिक्कत हो रही थी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved