नई दिल्ली । ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियां कर रही भारतीय वायुसेना के लिए 83 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस एमके-1ए की डील एयरो इंडिया-2021 के दौरान पूरी होगी। वायुसेना ने 2030 तक अपनी मौजूदा 30 स्क्वाड्रन को बढ़ाकर 38 करने का फैसला लिया है। वायुसेना नई बनने वाली 8 स्क्वाड्रन का 75 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी एलसीए और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट से पूरा करना चाहती है।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने भारतीय वायुसेना के लिए 83 स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान के एमके-1ए वर्जन की खरीद के लिए मार्च में मंजूरी दी थी। रक्षा मंत्रालय की लागत समिति ने इस सौदे का अंतिम मूल्य 45 हजार करोड़ रुपये सभी प्रतिष्ठानों और लॉजिस्टिक पैकेजों समेत निर्धारित किया है। इस खरीद से ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अंतर्गत विमान विकास एजेंसी (एडीए) ने इसका स्वदेशी डिजाइन तैयार किया है। इसे हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने निर्मित कर रही है। भविष्य में यह भारतीय वायुसेना का रीढ़ साबित होगा। मौजूदा समय में भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की 30 स्क्वाड्रन हैं जबकि ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के लिहाज से कम से कम 38 स्क्वाड्रन होनी चाहिए। इसलिए वायुसेना ने 2030 तक 8 और स्क्वाड्रन बढ़ाने का फैसला लिया है।
भारतीय वायुसेना की एक स्क्वाड्रन 16 युद्धक विमानों और पायलट ट्रेनिंग के दो विमानों से मिलकर बनती है।यानी वायुसेना के पास फिलहाल 144 लड़ाकू विमानों की कमी है। वायुसेना नई बनने वाली 8 स्क्वाड्रन का 75 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी तेजस एमके-1ए और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट से पूरा करना चाहती है। एलसीए एमके-1 के 40 विमानों को पहले ही वायुसेना में शामिल किये जाने की प्रारंभिक और अंतिम परिचालन मंजूरी मिल चुकी है। अब एचएएल बेंगलुरु में एलसीए एमके-1ए का पूरी गति से निर्माण कर रहा है। तेजस एमके-1 और तेजस एमके-1ए की 6 स्क्वाड्रन बनाई जानी हैं। वायुसेना से तेजस एमके-1ए के 83 विमानों का सौदा पहले दिसम्बर के अंत तक होने की उम्मीद थी लेकिन अब यह सौदा एयरो इंडिया-2021 के दौरान पूरा होगा। तेजस एमके-1ए की आपूर्ति 2023 से शुरू होगी और 2027 तक पूरे 83 विमान वायुसेना को मिल जाएंगे।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन एवं विमान विकास एजेंसी ने 2015 में उन्नत तेजस एमके-1ए के लिए वायुसेना के सामने प्रस्ताव रखा था, तब इसका मार्क-2 उत्पादन में नहीं आया था। तेजस एमके-1ए में डिजिटल रडार चेतावनी रिसीवर, एक बाहरी ईसीएम पॉड, एक आत्म-सुरक्षा जैमर, एईएसए रडार, रखरखाव में आसानी और एविओनिक्स, वायुगतिकी, रडार में सुधार किया गया है। हालांकि, शुरुआत में एचएएल ने एक एमके-1ए विमान की कीमत 463 करोड़ तय की थी जिसे वायुसेना ने बहुत अधिक माना। कई महीनों की बातचीत के बाद एचएएल ने 83 एमके-1ए और 10 एमके-1 ट्रेनर जेट की एक यूनिट का मूल्य 250 से 275 करोड़ रुपये के बीच कम करने पर सहमति जताई। हालांकि कम दामों में होने वाले इस नए सौदे में विमान के सभी रखरखाव और समर्थन उपकरण शामिल नहीं होंगे।
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