नई दिल्ली (New Delhi)। झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court)में सोमवार को गढ़वा के सीईओ की ओर से अशोक कुमार को जारी नोटिस (notice issued)के मामले में सुनवाई (hearing in the case)हुई। हाई कोर्ट (High Court)ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के घर को बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किए तोड़ा नहीं जा सकता। दरअसल, सीईओ ने प्रार्थी को चौबीस घंटे के भीतर अपने मकान के सभी दस्तावेज दिखाने को कहा था। साथ में यह भी कहा कि ऐसा नहीं कर पाने पर इसे अतिक्रमण माना जाएगा।
इस मामले में गढ़वा के अशोक कुमार ने याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई के बाद अदालत ने यह निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार को लगता है कि आवास का निर्माण अवैध है और अतिक्रमण किया गया है, फिर भी कानून के अनुसार सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद ही कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ही अदालत ने याचिका निष्पादित कर दी।
24 घंटे में सभी दस्तावेज मांगे गए थे
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि 10 मार्च 2024 को गढ़वा के सीईओ ने नोटिस जारी कर 24 घंटे के अंदर उन्हें मकान के सभी दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया। कहा गया कि कागजात पेश नहीं किए जाने पर अतिक्रमण माना जाएगा। प्रार्थी ने 11 मार्च को सभी कागजात सीईओ के पास जमा कर दिए। इसके बाद सर्किल इंस्पेक्टर और गढ़वा सदर पुलिस के साथ आवास पहुंचे। मकान की मापी की और लाल दाग लगा दिया। प्रार्थी ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
यह भी जानिए: पूर्व पार्षद वेद के खिलाफ अपील याचिका खारिज
रांची नगर निगम के वार्ड 39 के निवर्तमान पार्षद वेद प्रकाश सिंह को पार्षद पद से बर्खास्त करने की सरकार की अपील याचिका सोमवार को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को सही बताया। वेद प्रकाश के खिलाफ अभिषेक कुमार और सरकार ने अपील याचिका दायर की थी।
वेद प्रकाश के खिलाफ तथ्यों को छिपाने का आरोप लगा था। नगर विकास विभाग ने इसकी जांच करायी। जांच के बाद विभाग ने वेद प्रकश को पार्षद पद से बर्खास्त कर दिया था। इसके खिलाफ वेद प्रकाश हाईकोर्ट गए। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने नगर विकास विभाग के आदेश को रद्द कर दिया और उन्हें पद पर बहाल करने का निर्देश दिया था। एकलपीठ के आदेश के खिलाफ सरकार ने खंडपीठ में अपील दायर की थी।
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