किस पर यकीन करें… आप पर या आपके विरोधियों पर…ईमानदारी के नाम पर जन्मी पार्टी आज बेईमानी के आरोपों में दफन है…दो मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री सींखचों में कैद हैं…दिल्ली का राज इतिहास रचते हुए जेल से चल रहा है… बेगुनाही और गुनाहों के कसीदे पढ़े जा रहे हैं… वो आरोप लगा रहे हैं तो यह सबूत मांग रहे हैं…केवल बयानों को आधार बनाकर देश में कद बढ़ाती एक राजनीतिक पार्टी का नैतिक पतन किया जा चुका है… आरोप यह है कि गोवा में चुनाव के लिए 100 करोड़ का घोटाला रचा और 40 करोड़ पहुंचाए गए…लेकिन सवाल यह भी है कि 40 करोड़ पहुंचाकर भी आप एक भी सीट जीत नहीं पाए… आम आदमी पार्टी के हर नेता की हालत आम आदमी जैसी हो गई है, जिसकी कोई नहीं सुनता है…जिसे हर बड़ा आदमी सुनाता है…वो सुनता भी है और सहता भी है…वो कुछ नहीं कहता है… बस खामोश रहता है…इसीलिए आम आदमी ने जुबान खोलना बंद कर रखा है…उसने बोलने का स्वाद जब-जब चखा है, तब उसकी हालत अरविंद केजरीवाल जैसी हुई है…पत्नी रोती है… बच्चे बिछड़ जाते हैं और जमानेभर के लोग ताना मारते हैं…यही हाल नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे लोगों ने भी सहा है…इसीलिए जो मिला है वही उन्होंने दिया है…मोदीजी को गोधरा कांड का दोषी बनाया था…अमित शाह को फंसाकर जेल भिजवाया गया…गुजरात की काली रात उन्होंने देखी है, इसीलिए रोशनी कैद करने वालों के दिन भी उन्होंने काल कोठरी में कैद कर दिए…वो आपातकाल को नहीं भूलते…वो अमानुषता के दर्द से आज भी कराहते हैं…वो जिन्हें दोषी मानते हैं, उन्हें ललकारते भी हैं और फुफकारते भी हैं…वो भ्रष्ट सरकार से त्रस्त देश की कहानियां सुनाते हैं…फिर हेमंत सोरेन हों या के. कविता, सबको निशाना बनाते हैं…वो उद्धव को दगाबाजी की सजा देने के लिए उनके अंग को ही काटकर शिंदे नाम का हथियार बनाते हैं और बाप-दादा की पार्टी के दो टुकड़े कर डालते हैं…यह राजनीति की नई पाठशाला है… नया सबक है…जनता इससे दूर है, क्योंकि जनता से ज्यादा यहां नेता मजबूर हैं…एक नेता दूसरे नेता को निपटाने में मशगूल है…लेकिन इस द्वंद्व में एक बात समझ से बाहर है…आम आदमी पार्टी तो अभी नवजात है…फिर वो सबसे बड़ी सजा की क्यों हकदार है…उसका दामन तो अभी फैला ही नहीं कि इतना दागदार बना डाला… दिल्ली से कदम निकलकर पंजाब तक पहुंचे नहीं कि उसे मिटा डाला…केजरीवाल का कसूर इतना समझ में आता है कि वो दिल्ली में बैठकर दिल्ली को आंख दिखाता है…आंखों की यही गुस्ताखी आज सींखचों में कैद है तो हरकतों का अंजाम समझा ही जा सकता है…और जब देश के नेताओं का यह हाल है तो आम आदमी को तो अपनी आंख झुकाकर…जुबान दबाकर और हिमाकतें भुलाकर रहना चाहिए…वरना आप की तरह साफ होने में देर नहीं लगेगी …
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