बठिंडा। पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस और आप के खिलाफ शिरोमणि अकाली दल बादल, भाजपा, कैप्टन और बसपा का साझा गठबंधन दिसंबर के अंत तक हो सकता है। यह चारों राजनीतिक दल एकजुट होकर कांग्रेस एवं आप के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आ सकते हैं।
दिल्ली के सूत्रों के अनुसार, जल्द ही पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी को मंजूरी मिल जाएगी और वह अपनी नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का भाजपा के साथ गठबंधन कर देंगे। इसके बाद कैप्टन की चुनावी रणनीति के अनुसार भाजपा से नाता तोड़ चुके अकाली दल को फिर से भाजपा के साथ जोड़ा जाएगा। बसपा पहले से अकाली दल के साथ है।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुपर्व के मौके पर कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान भी चुनावी रणनीति के तहत प्रदेश के भाजपा नेताओं और शिअद और कैप्टन के अनुसार ही किया है। गुरुपर्व के मौके पर बडे़ एलान के बाद खासकर भाजपा नेताओं को बड़ी राहत मिली है। किसान अब उनका विरोध कम करते दिखाई दे रहे हैं। मालवा एरिया के दस जिलों की बात की जाए तो वहां के किसानों में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पकड़ मजबूत थी। अब कैप्टन के पिछले साढे़ चार वर्ष के कार्यकाल ने उक्त पकड़ को पूरी तरह से ढीला कर दिया।
सूत्रों के अनुसार दिल्ली में धरना दे रहे पंजाब के किसानों का एक राजनीतिक दल भी जल्दी ही चुनाव मैदान में आ सकता है जो किसान वोट बैंक पर सभी पार्टियों के लिए चुनौती पैदा करने का काम करेगा। हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने भी पंजाब विधान सभा चुनाव में प्रदेश की 117 सीटों पर चुनाव लडने का एलान कर दिया है पर अब तक चढूनी की ओर से प्रदेश में चुनावी हलचल तेज नहीं की गई है।
बेरोजगारी, बेअदबी एवं नशे का बड़ा मुद्दा
2017 में कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी की ओर से अपने प्रमुख विरोधी अकाली दल बादल को बेअदबी एवं नशे के बडे़ मुद्दों पर घेरा गया था। परिणाम स्वरूप कांग्रेस इन दो बडे़ मामलों पर राजनीति कर सरकार बनाने में कामयाब हो गई थी। वहीं आम आदमी पार्टी भी विपक्षी दल बनने में कामयाब हो गई थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में शिअद, भाजपा, आप, कांग्रेस के लिए बेअदबी और नशे के साथ बेरोजगारी का मुद्दा सबसे बड़ी चुनौती होगा। 2017 में कांग्रेस ने चुनाव के समय प्रदेश के लोगों को घर घर नौकरी देने का वादा किया था। इस वादे को कैप्टन पूरा नहीं कर पाए थे।
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