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मुस्लिम विवाह-तलाक से जुड़ा 90 साल पुराना कानून बन जाएगा इतिहास, असम में विधेयक पारित

August 29, 2024

असम: असम में मुस्लिमों के विवाह और तलाक के लिए सरकारी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य बना दिया गया है. इस बाबत गुरुवार को असम विधानसभा में विधेयक पारित हुआ. राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक का अनिवार्य पंजीकरण विधेयक, 2024 विधानसभा में पेश किया. विधेयक पर हुई बहस के बाद गुरुवार को विधेयक पारित कर दिया गया. इससे मुस्लिम विवाह और तलाक से जुड़ा 90 साल का कानून अब इतिहास बन गया है.

विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि काजियों द्वारा किए गए सभी पहले के विवाह पंजीकरण वैध रहेंगे और केवल नए विवाह के लिए यह कानून लागू होगा. नये विवाह के लिए रिजस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है.

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से मुस्लिम पर्सनल लॉ और इस्लामी रीति-रिवाजों से होने वाली शादियों में कोई भी हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा. उन्होंने साफ कहा कि उन लोगों को केवल एक ही बात कहनी है कि इस्लाम द्वारा निषिद्ध शादियों का पंजीकरण नहीं होगा. असम के सीएम ने कहा कि नये कानून लागू होने से अन्य धर्मों की तरह ही अब इस्लाम में भी बाल विवाह पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा. बता दें कि भारतीय कानून के अनुसार बाल विवाह पूरी तरह से गैरकानूनी है.

राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन नेकहा कि इससे बहुविवाह पर रोक लगाने एवं विवाहित महिलाओं को वैवाहिक घर में रहने, भरण-पोषण आदि केअपनेअधिकार का दावा करने में सक्षम बनाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने से विधवाओं को अपने पति की मृत्यु के बाद अपने उत्तराधिकार के अधिकार, अन्य लाभ और विशेषाधिकारों का दावा करने में सक्षम बनाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि यह विधेयक के कानून बनने के बाद पुरुषों को शादी के बाद पत्नियों को छोड़ने से भी रोकेगा. इसके साथ ही विवाह संस्था को और भी मजबूत करेगा.


असम के सीएमहिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट किया कि आज बाल विवाह की सामाजिक बुराई से लड़ने के हमारे प्रयास में एक ऐतिहासिक दिन है. असम विधान सभा ने ‘असम मुस्लिम विवाह और तलाक का अनिवार्य पंजीकरण विधेयक, 2024’ पारित किया है. उन्होंने कहा कियह अधिनियम अब सरकार के साथ विवाह को पंजीकृत करना अनिवार्य कर देगा और लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष की विवाह की कानूनी आयु का उल्लंघन नहीं कर सकता है.

यह किशोर गर्भावस्था के खिलाफ एक सख्त निवारक के रूप में भी काम करेगा और हमारी लड़कियों के समग्र विकास में सुधार करेगा. उन्होंने कहा किमैं उन सभी विधायकों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस विधेयक और बाल विवाह को रोकने के सरकार के दृष्टिकोण को अपना समर्थन देने का संकल्प लिया. यह विधेयक दलगत राजनीति से ऊपर है और हमारी लड़कियों को सम्मान का जीवन देने का एक साधन है. अगला बहुविवाह पर प्रतिबंध!

बता दें कि इससेपहले, मुस्लिम विवाह काजियों द्वारा पंजीकृत किए जाते थे.हालांकि, इसविधेयकके कानून बनने के बाद अब सभी मुस्लिम विवाह के लिए सरकारी पंजीकरण जरूरी होगा. हालांकि असम की विपक्षी पार्टियों ने असम सरकार द्वारा पेश किये गये इस विधेयक का विरोध किया. विपक्षी पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस मुस्लिमों के प्रति भेदभावपूर्ण नीति है और यह मतदाताओं के ध्रुवीकरण करने के लिए किया गया है. वास्तव में असम सरकार इसके माध्यम से वोट पॉलिटिक्स कर रही है.

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