नई दिल्ली. अक्सर लोग टैक्स व्यवस्था चुनने को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) या पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) कौन ज्यादा बेहतर है? खासकर जब से केंद्र सरकार (Central government) ने न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट टैक्स सिस्टम बनाया है. सरकार ने ओल्ड टैक्स रिजीम के विकल्प के तौर पर न्यू टैक्स रिजीम शुरू किया, जिसे सेक्शन 115BAC के तौर पर जाना जाता है.
यह नई टैक्स व्यवस्था वैकल्पिक थी और व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) के लिए 1 अप्रैल, 2020 से शुरू हुई थी. तीन साल तक संचालन के बाद, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने केंद्रीय बजट 2023 के दौरान घोषणा की कि आगे चलकर, यह नई टैक्स व्यवस्था उन करदाताओं के लिए डिफॉल्ट टैक्स सिस्टम बन जाएगी, जो नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कोई प्रीफरेंस को सेलेक्ट नहीं करते हैं.
कितनी बार टैक्स रिजीम में कर सकते हैं स्विच?
वित्त अधिनियम 2023 ने नई कर व्यवस्था को वित्त वर्ष 2023-24 (AY 2024-25) के लिए डिफॉल्ट टैक्स रिजीम बना दिया है. एक टैक्सपेयर सालाना आधार पर पुरानी और नई कर व्यवस्था के बीच स्विच कर सकते हैं. हालांकि बिजनेस या पेशे से इनकम करने वाला कोई भी टैक्सपेयर, जिसने एक बार न्यू टैक्स रिजीम से बाहर जाने का विकल्प चुना है, वह सिर्फ एक बार ही न्यू टैक्स रिजीम में वापस आ सकता है.
ओल्ड टैक्स रिजीम के फायदे
ओल्ड टैक्स रिजीम, न्यू टैक्स रिजीम की तुलना में ज्यादा टैक्स रेट वसूलती है, लेकिन कई बेनिफिट प्रोवाइड कराती है. यह टैक्सपेयर्स को कई तरह की छूट और कटौती देता है, जिसमें हाउस रेंट अलाउंस (HRA), अवकाश यात्रा भत्ता (LTA), सेक्शन 80C इन्वेस्टमेंट बेस्ड टैक्स छूट और सेक्शन 80D हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम छूट शामिल है, जो खासतौर पर टैक्स बचाते हैं. ओल्ड टैक्स रिजीम लोगों को टैक्स सेविंग योजनाओं में निवेश के लिए प्रोत्साहि करती है. इससे निवेश की आदत के साथ लॉन्ग टर्म में अच्छा फंड भी जमा होता है.
न्यू टैक्स रिजीम के फायदे
दूसरी ओर, न्यू टैक्स रिजीम कम टैक्स रेट्स की पेशकश करती है, लेकिन अधिकांश छूट और कटौती नहीं मिलती. इसमें NPS के तहत कंपनी के कंट्रीब्यूशन और एक्स्ट्रा कर्मचारी लागत जैसे विशेष मामलों को छोड़कर कटौती उपलब्ध नहीं है.
80 हजार मंथली कमाई पर कौन सी टैक्स रिजीम बेहतर?
इसलिए आपको कौन सी टैक्स रिजीम चुननी चाहिए इसका फैसला अपने फाइनेंशियल इनकम, टैक्स छूट, योजनाओं में निवेश और अन्य फायदे को देखकर ही करना चाहिए. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर आपकी मंथली कमाई 80 हजार रुपये हैं तो आपको कितना टैक्स देना होगा? कौन सी टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेहतर हो सकती है? जैसे कंफ्यूजन को दूर करने के लिए कैलकुलेशन के माध्यम से समझाया गया है. आइए जानते हैं…
80,000 सैलरी पर कितना देना होगा टैक्स?
टोटल इनकम ओल्ड टैक्स रिजीम न्यू टैक्स रिजीम
80,000*12 9,60,000 रुपये 9,60,000 रुपये
स्टैंडर्ड डिडक्शन (50,000 रुपये) (50,000 रुपये)
ग्रॉस टोटल इनकम 9,10,000 रुपये 9,10,000 रुपये
चैप्टर VI-A डिडक्शन (1,50,000 रुपये) ——–
टोटल इनकम 7,60,000 रुपये 9,10,000 रुपये
टैक्स लायबिलिटी 67,080 रुपये 48,360 रुपये
नोट- यहां निवेश पर कटौती u/s 80C के तहत योग्य है.
80 हजार मंथली सैलरी पर कौन सी टैक्स रिजीम चुनें
ऊपर समझाए गए कैलकुलेशन को देखें तो ओल्ड टैक्स रिजीम में सालाना 67,080 रुपये का टैक्स देना पड़ रहा है, जिसमें बेसिक टैक्स 64,500 रुपये और सेस 4% यानी 2,580 रुपये है. इसी तरह, न्यू टैक्स रिजीम में 80 हजार मंथली सैलरी पर सालाना कुल टैक्स देनदारी 48,360 बनेगी, जिसमें 46,500 बेसिक टैक्स और 4 फीसदी सेस या 1,860 रुपये शामिल है.
इस कैलकुलेशन के आधार पर कह सकते हैं कि 80 हजार मंथली कमाई करने वाले व्यक्ति न्यू टैक्स रिजीम चुन सकते हैं, क्योंकि इसमें उनका ज्यादा टैक्स बचेगा. यह कैलकुलेशन आरएसएम इंडिया के संस्थापक डॉ. सुरेश सुराणा द्वारा किया गया है.
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